बस्ती डाक बंगला विवाद ने पकड़ा सियासी तूल, निषाद पार्टी विधायक अनिल त्रिपाठी ने ठेकेदार को बताया निर्दोष

जितेन्द्र पाठक

संतकबीरनगर/बस्ती। बस्ती जिले के पीडब्ल्यूडी डाक बंगले में शुक्रवार रात हुए विवाद ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। संतकबीरनगर के खलीलाबाद डाक बंगले में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में निषाद पार्टी के विधायक अनिल त्रिपाठी ने ठेकेदार रमेश चंद्र पांडेय का पक्ष लेते हुए उन्हें पूरी तरह निर्दोष बताया। साथ ही, उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच के लिए DIG बस्ती रेंज और प्रमुख सचिव गृह को पत्र भेजा है।

 

गौरतलब है कि 14 जून की रात बस्ती के सरकारी डाक बंगले में उस समय हड़कंप मच गया जब ठेकेदार रमेश पांडेय और सूरज सिंह सोमवंशी के बीच टेंडर को लेकर विवाद गहराया। बताया जा रहा है कि किसी फर्म को टेंडर दिलाने के एवज में रुपए की मांग की गई थी, जिसे लेकर दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट और हंगामा हुआ।

 

इस मामले में सूरज सिंह सोमवंशी की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने रमेश चंद्र पांडेय और उनके दो साथियों के खिलाफ अपहरण और हत्या के प्रयास सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। FIR में आरोप है कि रमेश पांडेय ने सरकारी गेस्ट हाउस में हथियार लहराते हुए धमकाया, मारपीट की और जबरन उठाने की कोशिश की।

 

विधायक त्रिपाठी ने उठाए सवाल

 

विधायक अनिल त्रिपाठी ने प्रेस वार्ता में कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक दबाव और व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम है। उन्होंने कहा कि सूरज सिंह खुद को एमएलसी प्रतिनिधि बताकर ठेकेदारों से टेंडर दिलाने के नाम पर सौदेबाजी करता है और वर्षों से बिना अनुमति के डाक बंगले में रह रहा है।

 

उन्होंने पत्र में यह भी सवाल उठाया कि:

 

बिना सरकारी अनुमति सूरज सिंह डाक बंगले में कैसे रह रहा है?

 

22 मार्च को ‘दिशा’ की बैठक में वह किस हैसियत से शामिल हुआ?

 

ठेकेदारों और व्यवसायियों को डरा-धमकाकर वसूली करना क्या अपराध नहीं?

 

 

दो सत्ता पक्ष आमने-सामने?

 

इस मामले ने अब राजनीतिक शक्ल ले ली है। जहां विधायक अनिल त्रिपाठी ठेकेदार रमेश पांडेय के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं, वहीं सूत्रों के अनुसार, सूरज सिंह को एमएलसी सुभाष यदुवंशी का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में यह विवाद दो सत्ताधारी दलों के नेताओं के वर्चस्व की लड़ाई बनता जा रहा है।

 

पुलिस की भूमिका पर भी उठे सवाल

 

विधायक त्रिपाठी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए राजनीतिक दबाव में मुकदमा दर्ज किया। उन्होंने मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या वरिष्ठ अधिकारी से कराए जाने की मांग की है।

 

आगे की कार्रवाई पर नजर

 

फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन सियासी दखल और दोनों पक्षों के प्रभावशाली होने के कारण निष्पक्ष जांच की उम्मीदों पर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को कानून के दायरे में कैसे नियंत्रित करता है और सत्य क्या सामने आता है।