माँ बाप मर रहे अनिह्यारे बेटे विद्युत गृह बने, बाप का शीश झुका कर के देखो कैसे हैं तने, पंडित जमदग्निपुरी,,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 17 फरवरी
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
यह सच है कि साहित्य में हर इंसान की अपनी प्रतिभा और उसका अपना रचना संसार होता है जिससे वह अपनी प्रतिभा को दर्शाता है। सौभाग्य की बात है कि जहाँ आज देश में लोकप्रिय शायर और कवियों का जमावड़ा दिखाई देता है, वहीं दूसरी तरफउत्तर प्रदेश के ज़िला जौनपुर के मिट्टी की सोंध मुंबई के वातावरण में अपना रस घोलते हुए हिंदी साहित्य को गौर्वान्वित कर रही है। मुंबई का साहित्य समाज जिन्हें साहित्यिक संस्था काव्य सृजन परिवार के संस्थापक के रूप में पंडित जमदग्निपुरी के नाम से जानती और पहचानती है। आज हम उन्हीं की कुछ खास रचनाओं को आपके सम्मुख रख रहे हैं।
1/ बेटों का व्यवहार कर रहा प्रेरित अब न जीने को,
सुर छलनी कर रहा बहू का, तीक्षण तीर सा सीने को ।
संस्कार मृतप्राय हो रहा, मैकाले की पढ़ाई से,
बेटे बहू न साथ चाहते , सास ससुर के रहने को ।।
2/ माँ बाप मर रहे अनिह्यारे बेटे विद्युत गृह बने,
बाप का शीश झुका कर के, देखो कैसे हैं तने ।
माँ बाप तरसते दाने बिन, बेटे खूब लंग लुटाएँ ,
बाप का मुँह काला कर करें, महफिल लूटें सेठ बने ।।
3/ रखिहू लजिया हमार,जात बानू ससुरे दुलारी-२
मानियु बतिया हमार,जात बानू ससुरे दुलारी||
सासू के मारियु ससुर के घसीटियु,जेठउत के चूनी ओनाइ के पीटियु|
राखियु लजिया हमार,जात बानू ससुरे दुलारी||
ननदी के पटकि पटकि घिसियायू,
देवर के खूबइ पटकि लतियायू|
मानियु बतिया हमार,जात बानू ससुरे दुलारी||
येहिं कुल क लाज राखियु,वोहिं कुल के बोरियु|
पास पड़ोसिनि के टाँग,धइ के तोरियु||
सुनिलअ बतिया हमार,जात बानू ससुरे दुलारी||
भाई बाप क तूँ अपने नमवां डुबायू,
माई क ससुरे में कीर्तन खुब गायू||
गाँठि बाँधि लिहू बतिया हमार,जात बानू ससुरे दुलारी||