बस्ती। पूर्णिमा तक चलने वाले दुर्गा पूजा उत्सव के बाद शहर के पंडालों में स्थापित मां भगवती को विदाई दी गई। भक्ति गीतों पर थिरकते, नाचते गाते, अबीर गुलाल उड़ाते श्रद्धालु भक्त विसर्जन जुलूस के साथ निकले। विसर्जन स्थल अमहट घाट पहुंचकर प्रतिमाओं का विसर्जन करने का सिलसिला शुरू हुआ, जो भोर तक जारी रहेगा।
शहर के पुरानी बस्ती क्षेत्र से लेकर गांधीनगर होते हुए विसर्जन स्थल तक सुरक्षा के व्याप्क प्रबन्ध किये गये थे। कड़ी सुरक्षा सुरक्षा व्यवस्था के बीच मां भगवती और अन्य देवी, देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। विसर्जन जुलूस में श्रद्धालु भक्तों, मेलार्थियों का रेला उमड़ा। विसर्जन घाट पर फ्लड पीएससी, पीएसी की कंपनी, एसडीआरएफ की टीम मौजूद रही, फायर टेंडर की व्यवस्था, खोया पाया केंद्र, एंबुलेंस, चिकित्सा सुविधा, विसर्जन स्थल अमहट घाट पर मेला कंट्रोल रूम बनाकर,, सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन कैमरे के माध्यम से निगरानी की जा रही थी।
पुरानी बस्ती क्षेत्र की प्रतिमाओं का मारवाड़ी मंदिर पर मिलाप कराने के बाद विसर्जन का मुख्य जुलूस शुरू हुआ। पाण्डेय बाजार, नई बाजार, करूआ बाबा, मंगल बाजार, दक्षिण दरवाजा, रोडवेज, गांधीनगर, कम्पनी बाग होते हुए कतारबद्ध ढंग से प्रतिमाएं विसर्जन के लिए निकली। देर रात तक अमहट घाट पर प्रतिमाओं का विसर्जन का सिलसिला जारी रहा। नवरात से दुर्गा पूजा पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए देर शाम हवन यज्ञ पश्चात मां भगवती के जयकारे लगाते, भक्ति गीतों पर नाचते गाते थिरकते श्रद्धालु प्रतिमा विसर्जन जुलूस में शामिल हुए। जुलूस में शामिल मां भगवती की प्रतिमाओं की जगह- जगह आरती उतारी गई।
बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में पंडालों में स्थापित प्रतिमाओं का दशहरा के दिन विसर्जन होने के बाद शहर में दुर्गा पूजा उत्सव की आभा निखरती है। शहर के दुर्गा पूजा पंडालों में स्थापित मां भगवती और अन्य देवी देवताओं के दर्शन पूजन के लिए ग्रामीण श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है। शाम से लेकर पूरी रात सड़को पर श्रद्धालुओं, मेलार्थियों मां भगवती के दर्शन पूजन कर मेले का आनन्द उठाते है। दशहरा के बाद से शहर में वातावरण पूरी तरह मां भगवती की आभा में सराबोर रहता है।
मेला एवं प्रतिमा विसर्जन को सकुशल सम्पन्न कराने हेतु मार्ग में पड़ने वाले पूजा स्थलों,विसर्जन जुलूस और विसर्जन स्थल पर पुलिस निगरानी रखते हुए तत्परता से ड्यूटी में मुस्तैद रही। अभी भी मूर्ति विसर्जन कार्यक्रम जारी है,