अयोध्या। प्रतिष्ठित पीठ श्री अशर्फी भवन में श्रावण मास में के द्वारा आयोजित नवदिवसीय श्री राम कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ हुआ। देश के विभिन्न प्रांतो से एवं देश की राजधानी दिल्ली से पधारे हुए 500 भक्त शोभायात्रा में सम्मिलित हुए। गणपति पूजन वरुण पूजन के साथ-साथ मां सरयू जी का पूजन सभी भक्तों ने जगद्गुरु स्वामी श्री धराचार्य जी महाराज के सानिध्य में किया। पूज्य महाराज श्री ने मां सरयू का दुग्ध अभिषेक किया। श्री राम नाम की धुन का संकीर्तन करते हुए सभी भक्त शोभायात्रा में नृत्य करते हुए। झुनकी घाट से कथा स्थल अशर्फी भवन तक पहुंचे। कथा में व्यास पीठ पर विराजित जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य जी महाराज ने कहा जन्म जन्मांतरों का पुण्य जब उदय होता है। तब श्री अवध धाम में बैठकर भगवान श्री राम के पावन चरित्रों का श्रवण करने का सोभाग्य प्राप्त होता है। सरयू जी की महिमा का बखान करते हुए महाराज श्री ने बताया सौ वर्षों तक गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है। वह पुण्य फल सरयू दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है। श्रीमद् वाल्मीकि रामायण के रचयिता वाल्मीकि जी के जन्म की कथा का श्रवण कराते हुए महाराज श्री ने कहा।सद्गुरु और संतों की कृपा पाकर वाल्मीकि जी ने श्रीमद् वाल्मीकि रामायण की रचना की।आदि काव्य श्रीमद् वाल्मीकि रामायण सभी पुराणों में अग्रगण्य हैं।गुरु कृपा से ही भक्ति मार्ग की प्राप्ति होती है। जगतगुरु रामानुजाचार्य शंकराचार्य वल्लभाचार्य, इन्हीं के मार्गदर्शन से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। बंदउ गुरु पद पदुम परागा अज्ञान रुपी अंधकार से ज्ञान रुपी प्रकाश की ओर हमें अग्रसर करें।वही सद्गुरु है गुरु की महिमा का वर्णन महाराज जी ने किया। गुरु कृपा से सबसे दुर्लभ बैकुंठ पद को भी प्राप्त किया जा सकता है। रघुवंश के राजाओं की कथाओं का श्रवण करते हुए महाराज श्री ने महाराज दिलीप के गो भक्ति की व्याख्यान सुनाते हुए कहा। महाराज दिलीप ने मां नंदिनी की सेवा रूप से किया गौ माता ने प्रसन्न होकर महाराज दिलीप को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया।भयंकर कलिकाल में गौ सेवा ही सर्वोत्तम भक्ति है। हम सभी जीवो को गौ माता की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। कथा का समय सायंकाल 3:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक है।कथा रसिक भक्त जन कथा में पहुंचकर श्रवण लाभ प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य करें।