, हम हैं हिंदुस्तानी कहना अच्छा लगता है,,,,
अनुराग लक्ष्य, 14 अगस्त ।
राष्ट्र के प्रति गहन्तम चिंतन करने वाले और आज़ाद भारत की संस्कृति और सभ्यता के बीच पलकर समय समय पर नई पीढ़ी को उत्प्रेरित करने वाले सलीम बस्तवी ,अज़ीज़ी, अपनी देश प्रेम परक रचनाओं के लिए हमेशा याद किए जाते हैं। आज सोवतंत्रा दिवस के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है उनकी एक गज़ल,,,,
1/ आपस में मिल जुलकर रहना अच्छा लगता है
हम हैं हिंदुस्तानी कहना अच्छा लगता है,,
2/ प्यार जिसे है भारत से उसकी तो फिक्र यही होगी
नफरत की दीवार का ढहना अच्छा लगता है,,
3/ मेरी नज़र में हिंदू मुस्लिम, मंदिर मस्जिद एक समान
गंग ओ जमन सा इनका बहना अच्छा लगता है,,
4/ सोने चांदी, हीरे मोती के गहनों की उम्र ही क्या
जिसके पास है प्यार का गहना अच्छा लगता है,,
5/ जिसका बेटा लडते लड़ते मुल्क पे हो जाता है शहीद
बरसों उसके ग़म का सहना अच्छा लगता है,,
6/ उस तहज़ीब पे लानत भेजो, उन लोगों को रोको ,सलीम,
जिनको रहना आज बरहना अच्छा लगता है,,
,,,,,,,, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,,,