परानूपुर (प्रतापगढ़): प्रतापगढ़ जिले के कुंडा स्थित परानूपुर श्रृंगवेरपुर धाम में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव का रविवार को भव्य समापन हो गया। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथावाचक पूज्य राजन जी महाराज ने अंतिम दिन रामकथा के महत्वपूर्ण प्रसंगों का सजीव चित्रण कर भक्तों को भावविभोर कर दिया। समापन के अवसर पर ‘जय जय श्रीराम’ के उद्घोष से पूरा धाम गूंज उठा।
आयोजक आनंद पांडेय के सानिध्य में आयोजित इस महोत्सव में राजन जी महाराज ने कथा के अंतिम दिन हनुमान मिलन, सुग्रीव मित्रता, लंका दहन और राम राज्याभिषेक जैसे प्रसंगों को विस्तार से सुनाया। कथावाचक ने बताया कि कैसे माता सीता के हरण के बाद भगवान राम और लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंचे, जहां उनकी भेंट पवनपुत्र हनुमान जी से हुई। हनुमान जी ने सुग्रीव से मित्रता के महत्व को बताया और इसके उपरांत राम ने सुग्रीव को बाली से राज्य व पत्नी वापस दिलाने में सहायता का वचन दिया।
लंका दहन और राज्याभिषेक का मार्मिक वर्णन
राजन जी महाराज ने राम द्वारा बाली के वध, सुग्रीव को राजपाठ की वापसी और माता सीता की खोज में जुटी वानर सेना के प्रयासों का वर्णन किया। सुंदर कांड के प्रसंग में उन्होंने जामवंत जी द्वारा हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराने और लंका पहुंचकर माता सीता का पता लगाने की घटना को विस्तार से बताया। पूज्य महाराज ने लंका दहन की घटना का विस्तृत चित्रण किया, जिससे पंडाल में उपस्थित भक्तों का उत्साह चरम पर पहुंच गया।
अपने प्रवचन के दौरान महाराज ने जीवन दर्शन का संदेश देते हुए कहा कि “जो समझने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें समझाने में अपनी ऊर्जा व्यर्थ नहीं करनी चाहिए, केवल समझने को तैयार लोगों को ही समझाना चाहिए।”
अंततः रामसेतु निर्माण कर लंका पर चढ़ाई, विभीषण की सहायता से रावण का वध और माता सीता के साथ पुनर्मिलन के प्रसंग ने श्रोताओं की आँखों में भक्ति के अश्रु ला दिए। कथा के उत्तर कांड में रामराज्याभिषेक और दिव्य अभिषेक का वर्णन किया गया, जिस दौरान श्रोतागण भजनों पर झूमते रहे और भगवान श्रीराम के राजदरबार के आनंद में डूब गए। नौ दिनों तक चली इस श्रीराम कथा ने परानूपुर धाम में भक्ति और अध्यात्म का अदभुत वातावरण निर्मित कर दिया।