*फार्मर IOFS ऑफिसर प्रेसीडेंट EHU विश्वनाथ पाण्डेय ने किया डॉ पूर्णिमा पाण्डेय ,’पूर्णा’ द्वारा रचित “बाल वाटिका” पुस्तक की समीक्षा*
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम – बाल वाटिका
लेखिका – डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय
प्रकाशक – लोकरंजन प्रकाशन, प्रयागराज
बाल साहित्य किसी भी समाज की सांस्कृतिक धरोहर और भविष्य निर्माण का आधार होता है। बालकों के कोमल मन को सुंदरता, सरलता और भावनाओं की भाषा में जोड़े बिना उन्हें जीवन के सच्चे मूल्य नहीं सिखाए जा सकते। डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय की कृति बाल वाटिका इसी उद्देश्य की पूर्ति करती है।
इस संग्रह की कविताएँ सरल, सहज और बाल-मन को भाने वाली हैं। प्रत्येक कविता में प्रकृति, जीव-जंतु और परिवेश के चित्र बड़ी आत्मीयता से उकेरे गए हैं। “फुलवारी” कविता में विभिन्न फूलों की सुगंध और तितलियों-चिड़ियों का चंचल संसार बच्चों के सामने जीवंत हो उठता है। “मोर” कविता में राष्ट्रीय पक्षी का नृत्य और उसकी छटा बालकों के मन में हर्षोल्लास भर देती है। “तोता” की कविता में हरी डाल, मिर्च और नीले गगन में उड़ता तोता बच्चों को सहज ही आकर्षित करता है।
इसी प्रकार “नदियाँ” कविता जीवन का गहरा संदेश देती है कि कठिनाइयों के बावजूद नदियाँ रुकती नहीं, बहती रहती हैं और सबकी प्यास बुझाती हैं। यह बालकों के लिए एक प्रेरक सीख है। “गुलाब” कविता में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संदेश है—काँटों के बीच रहकर भी गुलाब मुस्कुराता है।
भाषा की सरलता, लयात्मकता और चित्रों की सहजता इस पुस्तक की विशेषता है। शब्दावली छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों के अनुरूप है, जिससे वे न केवल पढ़ने में आनंद लेंगे बल्कि गुनगुनाने में भी सहज होंगे। कविताओं में संस्कार, सौंदर्यबोध और जीवन-दर्शन की झलक है, जो बाल वाटिका को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि शिक्षा और संवेदना का उत्कृष्ट संकलन बनाती है।
इस पुस्तक ने मुझे मेरे बाल्यपन में पहुँचा दिया जब मुझे ऐसी ही पाठ्यपुस्तकों ने पहली बार अक्षरों से परिचित कराया था। फूलों, पक्षियों, नदियों और ऋतुओं पर आधारित छोटी-छोटी कविताएँ हमारे जीवन की पहली सीख बन जाती थीं। वे न केवल भाषा की मिठास सिखाती थीं बल्कि प्रकृति से आत्मीय संबंध भी जोड़ती थीं।
बाल वाटिका पढ़ते हुए वही बचपन की सादगी, मासूमियत और निर्मल आनंद फिर से जीवित हो उठता है। सचमुच, डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय की यह कृति केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी एक भावनात्मक सेतु है जो उन्हें उनके सुनहरे बीते दिनों से जोड़ देती है।
निष्कर्ष
बाल वाटिका डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय की एक सफल रचना है, जो बालकों के लिए ज्ञान और आनंद का संगम प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक निश्चित ही विद्यालयों की प्राथमिक कक्षाओं और घर-परिवार दोनों में बच्चों के लिए प्रिय पाठ्यसंग्रह बनेगी।
– विश्वनाथ
Former IOFS Officer,
Advisor to CBWAI and Founder President (Retd), CBWAI,
Certified EFT Practitioner &
President, EHU
Dated 25/08/2025