उन्मुक्त उड़ान मंच पर इस सप्ताह का आयोजन विविधतापूर्ण एवं प्रेरणादायी विषयों के साथ सम्पन्न हुआ

इस बार का केंद्रीय विषय था – “दूसरों को छोड़कर स्वयं को जानने का प्रयास, एक संकल्प”, जिसका निरूपण सुमन किमोठी “वसुधा” ने किया। उन्होंने कहा – “स्वयं को जानो” यह केवल दार्शनिक वाक्य नहीं, बल्कि हर इंसान की आत्मिक और व्यावहारिक आवश्यकता है। उपनिषदों के “आत्मानं विद्धि” तथा भगवद्गीता के श्रीकृष्ण के उपदेश का स्मरण कराते हुए उन्होंने समझाया कि आत्म-निरीक्षण कर अपने अनुभवों, नैतिक मूल्यों और जीवन शैली को पहचानना ही जीवन को सार्थक बनाता है। 21 रचनाकारों अनिल राही ‘प्रभात’, डॉ. अनीता राजपाल अनु ‘वसुंधरा’, वीना टंडन ‘पुष्करा’, अरुण ठाकर ‘ज़िंदगी’, डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका,’ डॉ अर्चना तिवारी, निशा कौल शर्मा, अनिल जैन, मनजीभाई बावलिया, संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’, सुनीता तिवारी, सुरेश सरदाना, अशोक दोशी ‘दिवाकर’, स्वर्णलता सोन ‘कोकिला’ रेखा रावत, दिव्या भट्ट स्वयं, डॉ वंदना खन्डुड़ी, मंजुला सिन्हा ‘मेघा’ , डॉ फूलचन्द्र विश्वकर्मा ‘भास्कर’, परमा दत्त झा, प्रवीणा सिंह राणा पदन्या, संतोषी किमोठी वशिष्ठ ‘सहजा’ने इस विषय पर अपने अनूठे अंदाज़ में सृजन कर अंतस में झाँकने के प्रेरक सुझाव प्रस्तुत किए।

सप्ताह का शुभारंभ मंच की संरक्षिका स्वर्ण लता सोन कोकिला द्वारा “हरतालिका तीज” विषय पर गीतात्मक वीडियो से हुआ, जिसमें भावपूर्ण प्रस्तुति ने वातावरण को भक्ति एवं सौंदर्य से सराबोर कर दिया। इस अवसर पर 25 रचनाकारों ने छंदमुक्त विधा में भावों को उन्मुक्त उड़ान दी। आगे कार्यक्रम में रेखा पुरोहित “तरंगिणी” ने विषय “विघ्न विनाशक – श्री गणेश जी” (गणेश चतुर्थी उपलक्ष्य में) का निरूपण किया। इसमें 35 सृजनकारों ने मनहरण घनाक्षरी विधा में अपनी भक्ति के पुष्प श्री गणेश को अर्पित किए।

खेल दिवस के उपलक्ष्य में फूलचंद्र विश्वकर्मा “भास्कर” द्वारा प्रस्तुत विषय पर 25 रचनाकारों ने अपनी रचनाएँ दीं। साथ ही शनिवार के स्वैच्छिक विषय में 38 रचनाकारों ने गीत, ग़ज़ल, दोहे, कुंडलियाँ और छंदमुक्त कविताओं द्वारा मंच को सृजन-सौंदर्य से भर दिया।

राधाष्टमी के अवसर पर भी मंच को विशेष भक्ति-मयी स्वर मिला, जहाँ 10 रचनाकारों ने राधारानी के जन्मोत्सव पर रचनाएँ प्रेषित कीं। मंच की संस्थापिका एवं अध्यक्षा डॉ. दवीना अमर ठकराल “देविका” ने सप्ताह के सभी आयोजनों की समीक्षा रचनाकारों की पंक्तियों के साथ की। उन्होंने आगामी पर्वों – हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी और राधाष्टमी – की शुभकामनाएँ दी तथा उनके औचित्य, सार्थकता और प्रेरक संदेशों से सभी को अवगत कराया।

उन्मुक्त उड़ान मंच ने इस सप्ताह भी अपनी विविध विधाओं और विषयों से सृजनशीलता एवं सांस्कृतिक चेतना का समृद्ध परिचय कराया। उन्मुक्त उड़ान मंच द्वारा आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम का संयोजन एवं सृजनात्मक, सौंदर्यपूर्ण डिज़ाइन नीरजा शर्मा ‘अवनि’ और नीतू रवि गर्ग ‘कमलिनी’ ने किया। कार्यक्रमों की सतत समीक्षा अशोक दोशी ‘दिवाकर’ एवं सुरेश चंद्र जोशी ‘सहयोगी’ द्वारा की गई। वहीं कृष्णकांत मिश्र ‘कमल’ और संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ ने रचनात्मक समालोचना एवं चयन का दायित्व निभाते हुए विज्ञप्ति को विशिष्ट स्वरूप प्रदान किया। इस अवसर पर मंच की संस्थापिका एवं अध्यक्षा डॉ. दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ ने कहा –“उन्मुक्त उड़ान मंच के आयोजन उसकी दूरदर्शी सोच का जीवंत प्रतिबिंब हैं। साहित्य और साधना का यह संगम न केवल आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि समाज में स्वास्थ्य-चेतना एवं सांस्कृतिक मूल्यों की सुदृढ़ स्थापना को भी सुनिश्चित करता है।”