धर्म के नाम पर पाखंड, अंधविश्वास स्वीकार्य नहीं-महंत एकनाथ महाराज

बस्ती (दैनिक अनुराग लक्ष्य ) तपस्वी छावनी के जगद्गुरु परमहंसाचार्य के उत्तराधिकारी ओजस्वी फाउंडेशन के अध्यक्ष राजर्षि महंत एकनाथ महाराज ने बनकटी में एक कार्यक्रम के दौरान सनातन धर्म में बढ़ते अंधविश्वास, पाखंड और धर्म के नाम पर होने वाले शोषण को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि वैदिक सनातन धर्म अनादि काल से संपूर्ण धरती पर विद्यमान रहा है, लेकिन समय के साथ इसमें विकृति आई। पहले वैदिक मंत्रों और यज्ञों से पूजा-पाठ की परंपरा थी, किंतु धीरे-धीरे तंत्र-मंत्र साधना, पाखंड और अंधविश्वास ने इसकी जगह ले ली। पूजा-पद्धति बदली, पाखंड बढ़ा और लोगों की विचारधारा बदलती गई, जिससे धर्म में बिखराव आया।

उन्होंने कहा कि इतिहास में कई लोग अपनी पहचान और धर्म बदलते रहे, कोई अवधि बना, कोई सही मार्ग पर आया, कोई अलग सम्प्रदाय में चला गया, यहां तक कि कुछ मुसलमान भी बन गए। आज विज्ञान के युग में भी अंधविश्वास खत्म नहीं हो सका है।

महंत एकनाथ महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के टूटने के पीछे पशु बलि और नरबलि जैसी कुप्रथाएं भी बड़ी वजह थीं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पर्ची निकालने और भविष्यवाणी करने वाले बाबाओं की भरमार हो गई है। जैसे बाबा बागेश्वर धाम,अवध सरकार दिव्य धाम योगिनी पीठाधीश्वर अवधेश शास्त्री आदि जगहों के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 2019 में ‘पर्ची वाला बाबा’ उभरा, जिसने अपना नाम ‘बागेश्वर’ रखा, और उसके बाद एक-एक कर कई बाबा “लॉन्च” होते गए,कोई शिवाला बाबा बना, तो कोई और नाम से सामने आया।

उन्होंने आरोप लगाया कि ये स्वयंभू बाबा धर्म के नाम पर जनता को गुमराह कर करोड़ों की माया लूट रहे हैं। “कल का बाबा खाने को मोहताज होता है, लेकिन कुछ सालों में ही दुकान खोलकर धर्म की आड़ में लोगों को उल्लू बनाता है। फिर अपनी दुखभरी कहानी सुनाकर सहानुभूति बटोरता है, जबकि असल में वह शोषण कर रहा होता है,”।

उन्होंने चेतावनी दी कि जब समाज “उल्लू को भगवान” बनाता रहेगा, तो बुद्धिजीवी सनातन धर्म में नहीं टिक पाएंगे। महंत एकनाथ महाराज ने आह्वान किया कि धर्म की पवित्रता बचाने के लिए पाखंड और अंधविश्वास का त्याग करना होगा, अन्यथा आने वाली पीढ़ियों में आस्था की जगह अविश्वास पनप जाएगा।