विकासखण्ड अकबरपुर में विभिन्न विषयों पर आयोजित हुआ विधिक साक्षरता शिविर

अम्बेडकर नगर।उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लान ऑफ एक्शन 2025-26 के अनुपालन में श्रीमती रीता कौशिक, जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार आज दिनांक 23.07.2025 को ढ्याकरा हाल, विकासखण्ड-अकबरपुर, अम्बेडकरनगर में मध्यस्थता प्रकिया का महत्व, विवादों के प्री-लिटिगेशन स्तर पर निस्तारण के सम्बन्ध में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, उपभोक्ता अधिकार, एवं स्थायी लोक अदालत की जनोपयोगी सेवाओं एवं साथी अभियान के अंतर्गत निराश्रित बच्चों के आधार बनवाये जाने के सम्बन्ध में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर, राजेन्द्र कुमार तिवारी, खण्ड विकास अधिकारी, अकबरपुर, कमलेश कुमार सिंह, श्रम प्रर्वतन अधिकारी, राजेश कुमार तिवारी, डिप्टी चीफ, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल, रामचन्द्र वर्मा, नामिका अधिवक्ता,सुनील कुमार श्रीवास्तव, ए०डी०ओ० (पं) जि०वि० से०प्रा० के कर्मचारीगण, पराविधिक स्वंय सेवक, एवं विकासखण्ड अकबरपुर के कर्मचारीगण एवं आमजन द्वारा प्रतिभाग किया गया। भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता, अपर जनपद न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर द्वारा मध्यस्थता प्रकिया के लाभ एवं महत्व पर जानकारी प्रदान करते हुये बताया गया कि विवादों के समाधान की पारंपरिक पद्धति न्यायिक प्रणाली में मुकदमेबाजी एक लंबी प्रक्रिया है, जिससे न्याय मिलने में विलम्ब होता है और यह प्रक्रिया महगी भी होती है। विवाद के पक्षकारों को न्याय के लिए वर्षों का लम्बा इंतजार करना पड़ता है। इस प्रकार, गरीब और वचित लोगों के लिए न्याय पाना बहुत मुश्किल हो गया है। मुकदमेबाली की लंबी और महंगी प्रक्रिया ने आम जन परेशान हो जाते हैं। न्यायिक प्रणाली की इन कमजोरियों ने विवादों के निपटारे के लिए वैकल्पिक उपायों को जन्म दिया है। प्री-लिटिगेशन प्रक्रिया पारंपरिक अदालती कार्यवाही के बाहर बिना किसी सुनवाई के विवादों को सुलझाने और सौहार्दपूर्ण तरीके से विवादों को निपटाने की एक विधि है, जो सख्त प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं से मुक्त है, लागत प्रभावी है और त्वरित न्याय प्रदान करती है। यही कारण है कि विवाद करने वाले पक्षकारों द्वारा अपने विवादों के समाधान के लिए इन प्रकियाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। ये प्रक्रियाएं आम तौर पर पारंपरिक अदालती कार्यवाही की तुलना में गोपनीय, कम औपचारिक और कम तनावपूर्ण होती हैं। अपनाई जाने वाली प्रक्रिया सरल, लचीली, गैर-तकनीकी और अनौपचारिक होती है। यह पक्षों को आगे के संघर्ष से बचाता है। अपील की आगे की आवश्यकता की संभावना को कम करता है तथा पक्षों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखता है। अपर जिला जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा साथी अभियान पर जानकारी देते हुये बताया कि साथी अभियान का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर या देखभाल गृहों में रहने वाले बेसहारा बच्चों, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, जो कि सरकारी लाभ, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और विभिन्न बाल कल्याण कानूनों के तहत सुरक्षा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है, कानूनी पहचान प्रदान करना और सामाजिक कल्याण तक पहुँच को सुगम बनाना है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अम्बेडकरनगर द्वारा जनपद अम्बेडकरनगर में गठित साथी समिति में पुलिस विभाग, राजस्व विभाग, जिला प्रोबेशन, स्वास्थ्य विभाग, जिला महिला एवं बाल विकास इकाई तथा बाल देखमाल संस्थानों के प्रतिनिधियों व राजस्व टीम के साथ-साथ पैनल अधिवक्ता, पराविधिक स्वयं सेवकों को संयुक्त रुप से शामिल करते हुए जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण जनपद में निराश्रित बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं है, ऐसे निराश्रित बच्चों की पहचान करते हुये आधार नामांकन के उपरान्त विधिक सहायता और कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ना, आवश्यक सरकारी लाभ, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचाते हुये सामाजिक अंतर को खत्म करना है। साधी अभियान के अंतर्गत विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों को निर्देशित किया गया है कि कोई भी बच्चा विधिक पहचान या अधिकारी एवं हकों तक पहुंच ये वंचित न रह जाए। साथी समिति विभिन्न विभागों के सहयोग से पूरे जनपद में सर्वेक्षण एवं चिन्हांकन करते हुये 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों का आधार कार्ड यूआईडीएआई से संपर्क कर बनवाया जाएगा। अभियान की सफलता हेतु जिले में कार्यरत समस्त नगर पालिका कार्यालय, नगर पंचायत, एस०डी०एम० कार्यालयों को साथी अभियान के तहत बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र बनाने में सहयोग की अपेक्षा की गई है जिससे सभी बच्चों का आधार कार्ड बन सके और उन्हे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। राजेश कुमार तिवारी, डिप्टी चीफ, एल०डी०सी०एस० द्वारा बताया गया कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 22बी के अंतर्गत स्थायी लोक अदालत का गठन प्रत्येक जनपद में किया गया है इसके अंतर्गत स्थायी लोक अदालत में यातायात सेवाओं से सम्बन्धित विवाद, डाकघर या टेलीफोन सेवाओं से सम्बन्धित विवाद, बिजली प्रकाश या जलसेवा से सम्बन्धित विवाद, लोक सफाई व स्वच्छता प्रणाली से सम्बन्धित विवाद, अस्पताल या औषधालय में सेवाओं से सम्बन्धित विवाद, बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं, शिक्षा एवं शिक्षण संस्थान, हाउसिंग एवं स्टेट से सम्बन्धित विवाद एवं बीमा सेवाओं से सम्बन्धित विवादों का निस्तारण सुलह-समझौता के आधार पर किया जाता है। स्थाई लोक अदालत के द्वारा निर्णय सिविल न्यायालय की बिकी की तरह होता है जो कि विवाद से सम्बन्धित पक्षकारों पर अनिवार्य रूप से लागू कराया जाता है और यह अवार्ड विवाद से सम्बन्धित पक्षकारों पर बाध्यकारी होता है।

 

इसके अतिरिक्त अपर जिला जज / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उपस्थित सभी को दिनांक 13.09.2025 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार दिनांक 01.07.2025 से दिनांक 30.08.2025 तक चलने वाले राष्ट्र के लिये मध्यस्थता अभियान के विषय में भी जानकारी प्रदान की गई।