नई दिल्ली , 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस की चौबीसवीं वर्षगांठ पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुष्पांजलि अर्पित की और उन बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने ऑपरेशन विजय के दौरान अद्वितीय बहादुरी का प्रदर्शन किया था। द्रास के समारोह में युद्ध नायकों, वीर नारियों और शहीद नायकों के परिवारों का जमावड़ा भी देखा गया। राजनाथ सिंह ने कहा कि इन बहादुरों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा। जिन्होंने समय-समय पर देश को संकट के समय खड़े रहने में मदद की है। उन्होंने कहा, आज का भारत सैनिकों के बलिदान की नींव पर टिका है। राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन विजय को एक ऐसी घटना के रूप में वर्णित किया, जिसने प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत के साहस और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया। उन्होंने इस जीत को एक लॉन्च पैड भी बताया जिसने देश को सफलता की ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित किया। हमारी महानता कभी न गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठने में है। युद्ध के दौरान प्रतिद्वंद्वी के पास सामरिक सैन्य लाभ होने के बावजूद, हमारी सेनाओं ने उन्हें पीछे धकेलने और हमारी भूमि को पुन: प्राप्त करने के लिए बेजोड़ बहादुरी और कौशल का प्रदर्शन किया। जीत के साथ, भारत ने पाकिस्तान और दुनिया को संदेश दिया कि अगर देश के हितों को नुकसान पहुंचाया गया तो हमारी सेना किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी, राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, चाहे कोई भी चुनौती हो। देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हमने देश के दुश्मनों को खत्म करने के लिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दी है। भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है जो अपने सदियों पुराने मूल्यों में विश्वास करता है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति प्रतिबद्ध है, लेकिन अपने हितों की रक्षा के लिए हम एलओसी पार करने में संकोच नहीं करेंगे। पहले देश और सशस्त्र बलों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी, जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली हमारी सरकार ने प्रदान की है। हम अपनी सेनाओं के साथ मजबूती से खड़े हैं। लोगों और संसद को हमारे सैनिकों पर पूरा भरोसा है। राजनाथ सिंह ने कारगिल युद्ध के कई बहादुरों के वीरतापूर्ण कार्यों को याद किया, जिनमें परमवीर चक्र (पीवीसी) पुरस्कार विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन मनोज पांडे और वीर चक्र (वीआरसी) पुरस्कार विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन, कैप्टन जिंटू गोगोई, कैप्टन विजयंत थापर और नायब सूबेदार मंगेज सिंह शामिल हैं, जो आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं और उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन का विशेष उल्लेख किया, जिन्होंने युद्ध के दौरान असाधारण साहस दिखाया और यह संदेश फैलाया कि जब देश की सीमाओं की सुरक्षा की बात आती है तो भारतीय महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों से कम नहीं हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये सभी सैनिक भारत के विभिन्न क्षेत्रों से थे, लेकिन देश और उसके लोगों के हितों की रक्षा के लिए एक होकर लड़े।
राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध केवल हथियारों और बमों से नहीं लड़े और जीते जाते हैं; बहादुरी और अदम्य भावना भी समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा, यह इच्छा शक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना ही भारतीय सैनिकों को बाकियों से अलग करती है, उन्होंने कहा कि हमारी सेनाएं देश, इसकी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए देशभक्ति के मूल्यों से ओत-प्रोत हैं। रक्षा मंत्री ने रूस-यूक्रेन संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि यह युद्ध, जो पिछले एक वर्ष से अधिक समय से जारी है, आज के समय में संघर्षों की अप्रत्याशित प्रकृति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि युद्ध लंबा खिंच गया है क्योंकि लोग अपने हितों के लिए लडऩे के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं और अपनी सेना में शामिल हो रहे हैं। राजनाथ सिंह ने लोगों से आह्वान किया कि जरूरत पडऩे पर वे न केवल परोक्ष रूप से बल्कि प्रत्यक्ष रूप से भी युद्ध में भाग लेने के लिए तैयार रहें। लोगों को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए, ताकि जब भी देश को उनकी आवश्यकता हो, वे सशस्त्र बलों की मदद के लिए तैयार रहें। जैसे हर सैनिक भारतीय है; उसी तरह, हर भारतीय को एक सैनिक की भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए।लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त), चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक (सेवानिवृत्त), उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली, लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी (सेवानिवृत्त) और लेफ्टिनेंट जनरल अमरनाथ औल (सेवानिवृत्त) ह्लस्र) समारोह में भाग लिया। साहस और दृढ़ संकल्प के सच्चे उदाहरण और पीवीसी प्राप्तकर्ता सूबेदार मेजर संजय कुमार और महावीर चक्र हवलदार दिगेंद्र कुमार की उपस्थिति ने सभा को प्रेरित किया। कैप्टन मनोज पांडे, पीवीसी के भाई श्री मनमोहन पांडे और कैप्टन विक्रम बत्रा, पीवीसी के भाई श्री विशाल बत्रा भी इस अवसर पर उपस्थित थे। द्रास में आयोजित कार्यक्रम एकता, कृतज्ञता और गर्व का क्षण था, क्योंकि राष्ट्र उस वीरता को स्वीकार करने के लिए एक साथ आया था जो भारत की भावना को परिभाषित करती है।