मेरे गांव

शहर छोड़ कर आइए,

इस गर्मी में मेरे गांव।
सत्तू,जामुन,आम व बेल,
सुन्दर सुखद नीम की छांव।।

दोपहरी में दही मिलेगी,
ककड़ी ,खीरा व तरबूज।
सांझ मिले गुड़ का रस,
सुन्दर पके मिले खरबूज।।

महुअरिया में महुआ महका,
हलुआ, गुलगुले की बहार।
सांकल की आवाज पुकारे,
भउजी घूंघटा रही निहार।।

गंगा का घाट मनोहर मेरा,
अतिथि लखन,राम व सीता।
केवट सम आतिथ्य मिलेगा,
बन्धु प्रेम से रचेगी गीता।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *