अनुराग लक्ष्य, 24 जनवरी
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
,,,,जो लोग वक्त के सांचे में ढल नहीं सकते
वोह अपने गम को खुशी में बदल नहीं सकते
नसों का खून जलाने का हौसला तो करो
यह कौन कहता है कि पत्थर पिघल नहीं सकते,,,,
जी हां, मेरे इस उपरोक्त कलाम को जीवंतता परदान की, मुंबई निवासी महेश शागलू ने । ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त होटल मैनेजमेंट में तीन वर्षों तक जॉब करने के बाद अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी एक अलग ही राह चुनी, जिसमें आसमान को छूने की ताकत है, साहस है, और अपना रेस्टोरेंट खोलने की योजना है।
अगर आप उपरोक्त साइकिल को गौर से देखेंगे तो आपको इस साइकिल पर चलता फिरता एक मिनी रेस्टोरेंट दिखाई पड़ेगा। जो मुंबई की सड़कों पर लोगों के लिए एक कौतूहल का विषय बना हुआ है।
महेश शाल्गू से जब उनके इस कारोबार के बारे में अनुराग लक्ष्य संवाददाता सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने पूछा कि आप अपने एक अच्छे जॉब को छोड़कर इस कारोबार से क्या हासिल करना चाहते हैं तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखते हुए कहा कि अब जो मैने ठान रखा है वोह करके ही रहूंगा। मेरा सपना है कि मेरा अपना एक खूबसूरत सा रेस्टोरेंट हो, जिसमें मैं सबकी भूक और प्यास बुझाऊं। इसलिए मैने अपने सफर की शुरुआत अपनी इस साइकिल से की है, क्योंकि मुझे इस मुंबई शहर में एक दिन indika कार से भी चलना है। जो सुनिश्चित है। मुझे मेरी मंज़िल ज़रूर मिलेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।