उन्मुक्त उड़ान मंच पर साप्ताहिक आयोजन में इस बार का विषय थाः बहुत सारे हो या अल्प,पूरे करो नव वर्ष संकल्प। मंच संस्थापिका व अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल”देविका” के नेतृत्व व मार्गदर्शन में, प्रबुद्ध कार्यकारिणी के विवेक से नववर्ष के उपलक्ष्य में प्रदत विषय को सार्थकता मिली व विस्तृत आयाम मिला। फूलचंद्र विश्वकर्मा भास्कर ने इस आयोजन प्रभारी का बख़ूबी कर्तव्य निर्वहन करते हुए उत्कृष्ट विषय निरूपण किया। विषय निरुपण में से चंद पंक्तियां चंद पंक्तियाँ..संकल्प चाहे अल्प ही क्यों न हो, उसे पूर्ण करने में सक्षम तभी होंगे, जब पूर्ण निष्ठा, समर्पण और अनुशासन से कार्य करेंगे। सर्व प्रथम सजीव भटनागर सजग ने अपनी भावाभिव्यक्ति से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा-संकल्प लेना आसान है, पर उन्हें निभाना चुनौतीपूर्ण। चाहे संकल्प बहुत सारे हों या अल्प,उनका उद्देश्य हमें अनुशासित और प्रगति के मार्ग पर ले जाना है। अशोक दोशी दिवाकर के उत्कृष्ट आलेख में से चंद भाव-चरम महत्वकांक्षा और प्रण परिश्रम किसी भी काम को पूर्ण करने के लिए अत्यंत जरुरी है। दिव्या भट्ट स्वयं की भावाभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही-नए वर्ष में नव संकल्प अवश्य लें, भले ही संकल्पों की संख्या अल्प हो, लेकिन संकल्प पूर्ण करने की मंशा अवश्य रहे।
अनु तोमर अग्रजा ने कहा- हम बड़े संकल्प जो किसी कारण वश छूट गए हैं गत वर्षों में ,उन्हें नव वर्ष अर्थात अब पूरा करने की कोशिश करना हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
डॉ अनीता राजपाल वसुंधरा के विचारानुसार-उन्मुक्त उड़ान मंच की संस्थापिका व अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल जी के साथ मैं अपना संकल्प दोहराना चाहती हूँ कि हम सब मिलकर इससे नए वर्ष में अपने मंच को बुलंदियों तक वह पहुँचा सकें। नृपेंद्र कुमार के आलेख के चंद भाव सकारात्मक सोच के साथ संकल्प लेकर कोई भी कार्य करें सफलता आपको अवश्य मिलेगी। स्वर्ण लता सोन के अनुसार-अपना लक्ष्य यदि लिख कर रखें और रोज सुबह उठ कर सोचें कि आज मुझे क्या क्या कार्य करना है, तदनुसार प्रयास करें। संगीता चमोली इंदुजा के कुछ भाव मनुष्य को कर्मशील, गतिशील, परिवर्तन शील,होना चाहिए। उसका लक्ष्य उसका संकल्प उसके व्यक्तित्व को निखार देता है। नंदा बमराडा सलिला ने कहा-मन में उत्साह का संचार करते हुए अपने नए संकल्पों को पूरा करने के लिए तैयार हो जाएं जिससे हमारे अल्प संकल्प भी पूर्ण हो जाए। वीना टंडन पुष्करा के अनुसार-केवल लक्ष्य निर्धारण ही पर्याप्त नहीं है उसकी प्राप्ति और पूर्ति के लिए अनवरत प्रयत्न एवं श्रम आवश्यक है नीरजा शर्मा अवनि के विचारानुसार-
सही अर्थों में हमें ऐसे लोगों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए जिनकी करनी और कथनी में अंतर नहीं होता । सफल व्यक्ति वही हैं जो संकल्प वह अपने जीवन में लेते हैं उसे पूर्ण करके ही दिखाते हैं। डॉ दवीना अमर ठकराल देविका ने साप्ताहिक आयोजन का समापन अपनी अभिव्यक्ति से किया। भावाभिव्यक्ति के कुछ अंश हम सबने अत्यंत उमंगित, उल्लसित व हर्षित मन से नव वर्ष काअभिनंदन किया। मन में कुछ संकल्प उठते हैं और संकल्पों को पूरा करने के प्रति मनुष्य प्रतिबद्धित भी होना चाहता है। नियमतता, प्रतिबद्धता या अनुशासन के लिए स्वयं के प्रति अधिक कठोर न हों बल्कि उदार बनें और प्रत्येक संकल्प को दिनचर्या का हिस्सा बनाने का प्रयत्न करें, न कि उन्हें संकल्पों के नज़रिए से देखें। किसी भी कार्य को करने के लिए विवशता या असहाय महसूस न करके उसमें ही आनंद ढूंढें। प्रत्येक संकल्प को आनंदित मन से सहजता, सरलता और सुगमता से पूरे करने का प्रयास करें। संकल्प अल्प हों या बड़े, सभी संकल्पों को पूरा करने के लिए ईश्वरीय शक्ति के प्रति आस्था रखें और अपने पर पूरा विश्वास।
आत्म बल और आत्मविश्वास से हम सभी संकल्पों को पूरा करने के लिए समर्थ हो जाएंगे ऐसा मेरा मानना है- सकारात्मक सोच और प्रतिदिन संकल्पों को दोहराने अर्थात स्वयं से संवाद से संकल्प स्वतः पूरे होते नज़र आएंगे। प्रत्येक दिन के अंतिम पहर में पूरे दिन का लेखा जोखा अवश्य करें जो हुआ उसके लिए ख़ुद को ख़ुद की प्रशंसा करें और जो नहीं हुआ या नहीं हो सका उसे आने वाले दिन में पूरा करने का संकल्प लें व आए हुए व्यावधान का निवारण व समाधान ढूंढने का भी प्रयास करें।
निरंतरता व सतत् सहज अभ्यास से अद्भुत परिणाम मिलते हैं।