भोजपुरी सिने स्टार मनोज सिंह टाइगर ने किया ,आखरी पाती, का सफल नाट्य मंचन,,,,
अनुराग लक्ष्य, 6 मई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।
बीती शाम उस वक्त और खुशनुमा हो गई, जब मुकेश छाबड़ा कास्टिंग कंपनी स्टूडियो 36 आराम नगर 2 डी मार्ट लेन, वर्सोवा अंधेरी वेस्ट मुंबई में मुझे भोजपुरी सिने स्टार मनोज सिंह टाइगर के एकल नाट्य मंचन के लिए आमंत्रित किया गया।
नाट्य मंचन दिए हुए समय ठीक सात बजे शुरू हुआ, सभागार पूरी तरह अभिनेता मनोज सिंह टाइगर के अभिनय और संवाद अदायगी से मंत्र मुग्ध हो रही थी, और तालियों की गड़ गड़ाहट से सभागार गूंजता रहा।
आखरी पाती के किरदार में मनोज सिंह टाइगर ने अपने आपको पूरी तरह रच बस दिया था। खासकर नाटक का यह डायलॉग , मैं बिखरे हुए रेत में कदमों के निशान ढूंढ रहा हूं, सबकी ज़बान पर चढ़ गया।
कहानी फैजाबाद के गोसीगंग के एक युवक आकाश की है जो उसके गांव में आई अनुष्का के मुलाकात की है जो धीरे धीरे परवान चढ़ती है।
और, फिर वही होता है, जैसा कि अमूमन होता है, प्यार में मिलना बिछड़ना और तमाम मुश्किलों को झेलते हुए नायक की जिंदगी से नायिका किसी और की हो जान। लेकिन 1 घंटा 20 मिनट के इस नाट्य मंचन में मनोज सिंह टाइगर ने अपने आप को एक बेहतर मंझे हुए अभिनेता को पेश करके अपने तमाम दर्शकों के दिलों में उतर गए।
इस नाट्य मंचन की सबसे बड़ी बात यह रही कि इसके लेखक निर्माता निर्देशक मनोज सिंह टाइगर खुद थे, और इसके संवाद लेखक अनादि सूफी थे, संजय सोनू लाइट के इफेक्ट को खूबसूरती से नाटक को बेहतर बनाया, और साउंड के सिस्टम को सिकंदर ने अपनी कला छमता से नाटक को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस नाट्य मंचन में हिंदी सिनेमा की बड़ी बड़ी हस्तियों के साथ निर्माता निर्देशक संजय वत्सल और मीडिया पब्लिसिटी की एंकर सैयद नेहा ने भी इस नाट्य मंचन की भूरि भूरि परशंशा की।