इतिहास रचने आई हो

इतिहास रचने आई हो

 

नारी तू कितनी अतुलनीय फिर भी न सराही जाती है,

सर्व गुणों की खान हो तुम फिर भी ठुकराई जाती हो।

पर अब……..

बदल रहा ये देश समूचा,बदल रहा इतिहास,

थल से नभ तक इतिहास रचने ही तुम तो आई हो।

पांव में बेड़ी अब भी है,है लोगो की कलुषित सी बातें,

तुम उठो करो यकीन खुद पर,ऊंचे गगन तक उड़ जाओ।

तुम याद करो रानी लक्ष्मी मत भूलो अपाला घोषा को,

उदा देवी सीता माता तुम ध्यान धरो सुनीता कल्पना को।

इतिहास बनाने वाली तुम इतिहास ही रचने आई हो,

परचम लहराओ गगन बीच भारत का मान बढ़ाने वाली हो।

गौरव देकर भारत माता को तुम हर्षित करने वाली हो।

 

ममता प्रीति श्रीवास्तव

गोरखपुर