रिपोर्टर संजय शर्मा
अम्बेडकर नगर ।एनटीपीसी टाण्डा के आवासीय परिसर में स्थित डालिम्स स्कूल (Dalims School) की महिला प्रिंसिपल फिर विवादों में घिर गई हैं। स्कूल प्रशासन ने एनुअल फंक्शन के बहाने हर स्टूडेंट से ₹2000 की जबरदस्ती वसूली शुरू कर दी है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह राशि लिफाफे में सीधे कक्षा अध्यापक के पास जमा कराई जा रही है, ना कि स्कूल के आधिकारिक खाते में। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पारदर्शिता की पूरी तरह अनदेखी है और संभावित गड़बड़ी का रास्ता खोलती है।
अभिभावकों का आरोप है कि यह प्रिंसिपल का हर साल का ‘फंडा’ है – बच्चों और गार्जियंस से अनावश्यक पैसे उगाहना। एक गुस्साए अभिभावक ने कहा, “प्रिंसिपल ने साफ कह दिया कि फीस न देने पर बच्चों को फंक्शन में शामिल नहीं किया जाएगा। लेकिन जो बच्चे आना ही नहीं चाहते, उनके लिए भी यह अनिवार्य है। यह तो सरासर लूट है। हर साल यही होता है – कभी यूनिफॉर्म के नाम पर, कभी किताबों के बहाने।”
मिली सूत्रों के अनुसार, कोई भी अभिभावक यदि प्रिंसिपल से मिलने जाता है तो घंटों घंटों उनसे इंतजार करवाया जाता है। मिलना मुश्किल हो जाता है अभिभावकों का।
सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रिंसिपल लगभग 10 वर्षो से अधिक समय से पद पर कार्यरत हैं, जबकि समय-समय पर नेतृत्व में बदलाव अति आवश्यक होता है ताकि स्कूल के हित और बच्चों की भलाई के लिए बेहतर निर्णय लिए जा सकें।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम RTE (राइट टू एजुकेशन) एक्ट का उल्लंघन करता है।यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ी करती है – क्या शिक्षा का मंदिर अब व्यापार का अड्डा बन गया है?अभिभावकों के लिए सलाह तुरंत स्कूल प्रबंधन से लिखित स्पष्टीकरण मांगें। DEO या शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज कराएं।