हर एक दिल है परेशान क्या किया जाए, फ़िगार देवरयावी,,,,
अनुराग लक्ष्य, 1 नवंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल हमेशा से ही साहित्य और अदब के लिए विख्यात रहा है। खासकर गोरखपुर। जहां रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी ने अपना नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। फिराक गोरखपुरी ने अदब की जो ज़मीं हमवार की, उसकी खुशबू आस पास के इलाकों में भी फैली, जिसकी वजह से आज की तारीख में जहां गोरखपुर में दर्जनों शायरों ने अपना खास मुकाम हासिल किया, वहीं जिला देवरिया के रहने वाले नौजवान शायर फिगर देवरियावीं को भी अच्छी मकबूलियत मिली। आज उन्हीं के एक खास ग़ज़ल से आपको रूबरू करा रहा हूं ।
हसीन रिश्तों को बेजान क्या किया जाए ,
यहाँ पे अपनों की पहचान क्या जाए ।।
मोहब्बतों की नज़र डालता नहीं कोई ,
हर एक दिल है परेशान क्या किया जाए ।।
बना लो अज़्म को फौलाद मत कहो हरगिज़ ,
है मेरे सामने तूफान क्या किया जाए ।।
अभी तो बचना है हालात के शिकंजे से ,
अभी से जेहन है हैरान क्या किया जाए ।।
ये सोचिए कि हिफाज़त हो किस तरह आखिर ,
है आज खतरे में ईमान क्या किया जाए ।।
कहाँ गुजरती है ये जिंदगी सहूलत से ,
बताइयेे इसे आसान क्या किया जाए ।।
हर एक लम्हा मसाएल से जंग जारी है,
हैं बेवजह से ही क़ुर्बान क्या किया जाए ।।
भला हो तेरा बुरा मेरा चाहने वाले ,
तेरा भी होना है नुक्सान क्या किया जाए ।।
यहाँ तो दोस्त बहुत हैं नवाज़ने को मुझे ,
तो दुश्मनों को परेशान क्या किया जाए ।।
फिगार खून रगों से निचोड़ कर देखो ,
वफ़ा का करना है ऐलान क्या किया जाए ।।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुम्बई संवाददाता ।