जिधर भी देखिए ग़म की लकीर काली है, किसी के घर में अंधेरा कहीं दिवाली है, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

,,,, दीपावली पर विशेष ,,,,,,

जिधर भी देखिए ग़म की लकीर काली है, किसी के घर में अंधेरा कहीं दिवाली है, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 20 अक्टूबर

सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

मुम्बई संवाददाता ।

,,दिए जलाओ प्यार के पर इतना रहे खयाल,

औरों को खुशियाँ मिलें और तुम भी हो खुशहाल,

कोई न भूखा रह जाए कोई न प्यासा मर जाए,

प्यार की दौलत बाँट के सबको कर दो मालामाल,,

इसी कामना के साथ समस्त देश वासियों को दीपावली की अनन्त शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई।

अनुराग लक्ष्य मुम्बई संवाददाता सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने जब इस बार दीपावली के शुभ अवसर पर मुंबई वासियों के दुकानदारों का जब बाज़ार का मुआयना किया तो बड़े दुख और दर्द का ऐहसास हुआ। क्योंकि हर दुकानदार इस बार दीपावली पर बिक्री को लेकर बड़ा ही हताश और निराश दिखा।

धारावी की मशहूर दुकान वारिस फैशन हाउस के प्रोपराइटर आरिफ और वारिस ने बहुत अफसोस जताया और कहा कि समझ से परे है इस साल की दीपावली, बहुत ही निराशाजनक रही है इस साल की दुकानदारी। यही हाल ईद के त्यौहार का भी था, जो दुकानदारी प्रतिदिन लाख दो लाख रुपए तक पहुंच जाती थीं वोह आज की तारीख में 30 से 40 हज़ार में सिमट रही है।

इसी क्रम में सदीक्छा सामाजिक संस्था के सचिव शशि गायकवाड़ और त्रिभुवन यादव ने दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए समस्त देश वासियों को अपनी हार्दिक बधाई देते हुए सबके खुशहाल जीवन की मंगल कामना की ।

इसी तरह दादर के थोक कपड़ा व्यापारी रमेश वैष्णव का भी मानना है कि दुकानदारी अब बिल्कुल आशा के विपरीत हो रही है। सारे गणित फेल हो रहे हैं। जो व्यापारी माल ले भी जाता है तो रिटर्न के नाम पर न के बराबर है। दीपावली पर बिक्री अब बिल्कुल ठीक नहीं है।

इसी तरह अकरम, शाहिद, जगदीश, और रंगमहल जोगेश्वरी जैसे इलाकों के दुकानदार भी दीपावली पर बिक्री को लेकर हताश और निराश नज़र आए।

मजबूरन मुझे अपने इस कलाम का सहारा लेना पड़ रहा है। कि,

,,जिधर भी देखिए ग़म की लकीर काली है,

किसी के घर में अंधेरा कहीं दिवाली है ,

अजीब रीत है दुनिया बनाने वाले की,

कोई यहाँ पे शहंशाह कोई सवाली है,,