कार्तिक मास का महत्व और कथा

🌕 कार्तिक मास का महत्व और कथा

 

1. कथा (Damodar Leela – भगवान श्रीकृष्ण की कथा):

एक बार नन्हे कृष्ण माखन चुराकर खाने लगे, यशोदा माता ने उन्हें पकड़ लिया और रस्सी से बाँधने लगीं। परंतु कितनी भी रस्सी जोड़तीं, वह दो अंगुल छोटी पड़ जाती। अंततः जब उन्होंने प्रेमपूर्वक भगवान से विनती की, तो रस्सी पूरी हो गई।

इस घटना में “दामोदर” नाम पड़ा — जो उदर (कमर) से (दाम) रस्सी द्वारा बंधे हों।

यह कथा सिखाती है कि भगवान भक्ति से बंधते हैं, बल से नहीं।

 

🪔 कार्तिक मास में करने योग्य प्रमुख कार्य

 

1. दीपदान (Deep Daan):

 

प्रतिदिन संध्या समय दीपक जलाकर तुलसी के नीचे, घर के द्वार पर, मंदिर में और जलाशय के पास रखें।

 

यह दीपदान पापों को नष्ट करता है और मन को प्रकाशित करता है।

 

विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा की रात का दीपदान हजार दीपों के समान फलदायी माना गया है।

 

2. तुलसी सेवा (Tulsi Sewa):

 

तुलसी को प्रतिदिन स्नान कराकर दीपक जलाएँ, जल चढ़ाएँ और तुलसी स्तोत्र पढ़ें।

 

“तुलसी-दलमत्रेण जलस्य चुलुकेंन वा” — भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का यह सरल उपाय है।

 

कार्तिक एकादशी से तुलसी विवाह का विशेष आयोजन भी किया जाता है।

 

 

3. दामोदराष्टकम् का पाठ:

 

यह श्रीशुकदेवजी द्वारा श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कंध से लिया गया है।

 

प्रतिदिन प्रातः या संध्या समय दीपक के समक्ष बैठकर दामोदराष्टकम् का पाठ करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और भक्ति दृढ़ होती है।

 

इसका पाठ भगवान कृष्ण की उस बाललीला की स्मृति में किया जाता है, जहाँ वे यशोदा मैया के प्रेम से बंधे।

 

🌼 कार्तिक मास में पढ़े जाने वाले ग्रंथ और व्रत

 

मुख्य ग्रंथ:

 

श्रीमद्भागवत महापुराण (विशेषतः दशम स्कंध – कृष्ण लीला)

 

दामोदराष्टकम्

 

गजेंद्र मोक्ष कथा

 

शिवपुराण का कार्तिक माह से जुड़ा भाग

 

विष्णु सहस्रनाम और गोविंदाष्टकम्

 

मुख्य व्रत एवं त्योहार:

 

1. शरद पूर्णिमा – अमृत वर्षा की रात, खीर बनाकर चाँदनी में रखी जाती है।

 

2. अहोई अष्टमी – माताएँ संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।

 

3. धनतेरस – आरोग्य और समृद्धि की कामना का पर्व।

 

4. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) – पापों का नाश।

 

 

5. दीपावली – लक्ष्मी पूजा और अंधकार पर प्रकाश की विजय।

 

6. गोवर्धन पूजा – श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति।

 

7. भाई दूज – भाई-बहन के स्नेह का पर्व।

 

8. देवउठनी एकादशी – भगवान विष्णु के चार महीने के योगनिद्रा से जागने का दिन।

 

9. तुलसी विवाह – भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह उत्सव।

 

10. कार्तिक पूर्णिमा – सबसे पवित्र दिन; इस दिन स्नान, दान, दीपदान, हवन, और गंगा दर्शन का अपार फल मिलता है।

 

🌸 कार्तिक मास के नियम (आचरण):

 

ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें (संभव हो तो गंगा जल से)।

 

एक समय ही सात्विक भोजन करें, लहसुन-प्याज वर्जित रखें।

 

झूठ, क्रोध, निंदा और अपशब्दों से दूर रहें।

 

तुलसी पूजन, दीपदान, कथा श्रवण, दामोदराष्टक पाठ को नित्य करें।

 

हरिनाम जप — “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे” का जप विशेष रूप से शुभ माना गया है।

 

कार्तिक मास वह समय है जब भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और माता तुलसी सभी विशेष रूप से कृपा बरसाते हैं।

यह महीना बताता है कि सच्चा दीपक वही है जो हमारे भीतर के अंधकार को मिटाए — अहंकार, आलस्य और नकारात्मकता का।