बाबा दाऊद की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं नात ख्वाँ इम्तियाज़ शेख और यूसुफ शेख,

बाबा दाऊद की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं नात ख्वाँ इम्तियाज़ शेख और यूसुफ शेख,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 28 सितंबर

सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

मुम्बई संवाददाता ।

न दौलत न शोहरत न ज़र चाहिए,

मुझे अपने आक़ा का दर चाहिए ।

यह हलचल मची है जो दिल में मेरे,

मेरे दिल को तैबा नगर चाहिए ।।

मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी आज अपने इस नातिया कलाम से इस समाचार को इस लिए लिख रहा हूँ कि बात सरकार ए मदीना मुस्तफा जान ए रहमत के इश्क की है। क्योंकि जिन दो दीवानों का ज़िक्र करने जा रहा हूँ, दुनिया ए अदब उन्हें इम्तियाज़ शेख और यूसुफ शेख के नाम से जानती और पहचानती है।

अच्छा लगता है, जब कोई अपने माता पिता के पदचिन्हों पर चलकर समाज में अपनी शिनाख्त और वजूद को कायम करता है। इस बात को साबित कर दिया धारावी संगम गली स्थित इत्र और अगरबत्ती व्यापारी इम्तियाज़ शेख और यूसुफ ने।

एक बेहतरीन नात ख्वाँ इम्तियाज़ शेख और यूसुफ ने हमेशा एक सच्चे आशिक रसूल की तरह नातिया महफिलों में अपने नीतिया फन से हमेशा समायीन को बाग बाग करते नजर आ जाते हैं।

आपको बताते चलें कि उनके पिता दावूद बाबा ने आज से 50 साल पहले जो इश्क ए रसूल में डूबकर नातिया कलाम पढ़ते थे, उनके न रहने पर उनके सुपुत्र इम्तियाज़ शेख और यूसुफ शेख आज भी उस परंपरा को बखूबी अंजाम दे रहे हैं जिससे उनकी एक खास पहचान बन गई है।