सीडब्लूसी ने किया एसआई को दण्डित 6 माह तक विवेचना देने से रोका 

परशुराम पुर एसओ पर लटकी कार्यवाही की तलवार

बस्ती ( दैनिक अनुराग लक्ष्य ) बाल कल्याण समिति (सी डब्लू सी ) ने जनपद के परशुराम पुर थाने पर तैनात दरोगा को बाल अधिनियम का पालन नहीं करने पर दण्डित कर दिया है, दंड निर्धारण करने के पूर्व एस आई से दो बार स्पष्टीकरण माँगा गया था, दोनों बार स्पष्टीकरण संतोष जनक नहीं पाये जाने पर यह कार्रवाई की गयी है। वही थानाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने सी डब्लू सी के पत्र का कोई जवाब ही नहीं दिया है, फल स्वरूप उन पर अभी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

बताते चले की उक्त थाना क्षेत्र के एक ग्राम निवासी नाबालिक पाक्सो पीड़ित बालक के शिकायत पत्र पर यह कार्यवाही की गयी है,बालक के साथ गाँव के ही कुछ लोगों ने लैंगिक अपराध की घटना कारित की थी,थाने पर कोई सुनवाई नहीं होने पर बालक के पिता ने न्यायालय की शरण ली थी, न्यायालय के आदेश के बाद मुकामी थाने पर मुकदमा दर्ज किया गया है,विवेचक ने बालक को सी डब्लू सी के समक्ष पेश कर प्रक्रिया पूर्ण करा लिया था,5 अगस्त को बालक के पिता ने न्याय पीठ के समक्ष शिकायत पत्र देकर बताया की बालक को बार बार थाने पर बुलाया जा रहा है, मुकदमा वादी को एफ आई आर की कॉपी नहीं दी जा रही है, जिस समय बालक के साथ घटना हुई थी उस समय वहां बच्चे ही खेल रहे थे, बच्चे ही घटना के चश्मदीद गवाह है, इसके बावजूद विवेचक दौरान विवेचना गवाही के लिए बड़े लोगों को बुलाने के लिए कहते है, इस बात की शिकायत पीड़ित पक्ष ने पुलिस कप्तान से भी किया था और मामले के विवेचक को बदलने की मांग भी की थी,पीड़ित बालक ने न्याय पीठ के सामने कथन किया की विवेचक के द्वारा कहा जाता है की सही बोलना नहीं तो भगवान के मंदिर मे कशम खिलाऊंगा, इस प्रकार के बरताव से बालक ने खुद को मानसिक पीड़ित बताते हुए कहा की इससे मेरी शिक्षा और स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रही है। इस विषय तथा बालक के सर्वोत्तम हित को गंभीरता से लेते हुए न्याय पीठ के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा, सदस्य अजय श्रीवास्तव, डॉ संतोष श्रीवास्तव, मंजू त्रिपाठी की टीम ने निर्णय लेते हुए आदेश जारी किया है की विवेचक को 6 माह के लिए न्याय पीठ के कार्यालय मे प्रतिबंधित कर दिया जाय, विवेचक को छः माह तक बच्चों से संबंधित सभी प्रकार के मामलों से दूर रखा जाय,6 माह तक उप निरीक्षक को बाल अधिनियम एवं पाक्सो एक्ट से सम्बंधित विवेचना के लिए नामित ना किया जाय, संबंधित एस आई को जे जे एक्ट का अनिवार्य प्रशिक्षण दिलाया जाय, इसके साथ ही थानाध्यक्ष को अंतिम अवसर दिए जाने की बात कही गयी है, इस बार भी उनका जवाब नहीं आने पर, स्पष्टीकरण संतोष जनक नहीं होने पर उनके विरुद्ध भी न्यायपीठ के द्वारा विधिक कार्रवाई अमल मे लायी जायेगी। आदेश की कॉपी जिला अधिकारी, पुलिस उप महा निरीक्षक, पुलिस अधीक्षक को भी भेज दी गयी है।