ब्रह्मांड के ५ तत्व*-आचार्य सुरेश जोशी

🪷🪷 ओ३म् 🪷🪷
🌹 *ब्रह्मांड के ५ तत्व*🌹
*[१] शरीर:-* शरीर प्रकृति से बना है।इसको बनाने वाला परमात्मा है।मगर ईश्वर शरीर अपने लिए नहीं बनाता अपितु जीवात्माओं के लिए बनाता है।ये कर्म करने का सबसे स्थूल साधन है। इसे व्यायाम,योग,प्राणायाम,सेवा व सात्विक भोजन से निरोग बनाना मानव का धर्म है।क्योंकि शरीर से *योग और सम्यक भोग* दोनों की सिद्धि होती है।
*[२] मन:-* शरीर के बाद दूसरा ब्रह्मांड का साधन मन है।यह भी प्रकृति से बनता है और परमात्मा ही इसको भी जीवात्मा के लिए बनाता है।इसके द्वारा जीवात्मा *संकल्प-विकल्प* करता है। मन हमेशा निरोग रहे इसके दो साधन हैं। *सदा सत्य बोलना और परोपकार* करते रहना।जो व्यक्ति झूठ बोलता है उसकी *संध्या-उपासना-भक्ति* सब दिखावा है।झूठ बोलने वाला व्यक्ति *अपना शत्रु खुद ही है* उसे और शत्रुओं की आवश्यकता नहीं है।
*[३] बुद्धि:-* यह ब्रह्मांड का तीसरा तत्व है। यह भी प्रकृति पदार्थों से बनता है।इसे भी परमात्मा ही बनाता है जीवात्माओं के लिए।बुद्धि का काम निर्णय देना है।बुद्धि की शुद्धि के लिए किसी *वैदिक विद्वान के पास बैठकर वेद,दर्शन,उपनिषद आदि ग्रथों का अध्ययन एवं स्वाध्याय* जरुरी है।जो स्वाध्याय नहीं करते हैं वो पाखंड करते हैं अगर उन्हें समझाओ तो वो यह कहकर पल्ला झाड़ देते हैं कि *हमारे पूर्वज यही करते थे* सच्चाई यह है कि इनको ये भी नहीं पता कि पूर्वज कहते किनको हैं।
*[४] आत्मा* सज्जनो! ये ब्रह्मांड का चौथा तत्व है *आत्मा* अभी तक आपने जो तीन तत्वों के बारे में जाना था *शरीर,मन,बुद्धि ये तीनों जड़ पदार्थ हैं क्योंकि ये तीनों जिस प्रकृति से बने हैं वो प्रकृति भी जड़ है!*
परंतु आत्मा स्वतंत्र है और चेतन सत्ता ।इसे भगवान नहीं बनाता।ये अनादि काल से है।आत्मा की *उन्नति पूजा-पाठ से नहीं होती।पूजा पाठ कोरा कर्मकांड है।आत्मा की उन्नति ध्यान से होती है।* जो *ओ३म् या गायत्री इन सनातन मंत्रों से आंख बंद करके ध्यान* नहीं करते उनकी आत्मा की कभी उन्नति नही होती।याद रहे गुरु का ध्यान *ईश्वर का नहीं मनुष्य का ध्यान* है। इससे आत्मा को परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती।अत:जिन्हें भी आत्मा की उन्नति करनी है इन *सनातन मंत्रों से ध्यान* करना ही चाहिए!
*[५] ईश्वर:-* यह ब्रह्मांड का सबसे बड़ा व अंतिम तत्व है।ईश्वर ही हम जीवात्माओं के लिए ब्रह्मांड की रचना करता है।ईश्वर की भक्ति क्या है? *ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करना ही ईश्वर भक्ति है!* ईश्वर की आज्ञा कहां है? ईश्वर की आज्ञा वेदों में है।क्योंकि *चार सनातन वेद ही ईश्वर की वाणी है* वेद पढ़ना-पढ़ाना बहुत ही सरल है बस केवल वैदिक गुरु की आवश्यकता है।अत:किसी वैदिक विद्वान के पास *जिज्ञासु,मुमुक्षु बनकर जाओ* वो आपको बतायेंगे कि ईश्वर की आज्ञा क्या है? फिर वो जैंसा बताएं वैंसा आचरण करो!आपको ईश्वर मिल जायेगा।कहीं आप चेला बनाने वाले गुरु के पास चले गये वो आपको ईश्वर की भक्ति नहीं *गुरु ब्रह्मा,गुरु विष्णु* कहकर अपनी भक्ति जीवन भर करायेगा और आप कभी भी ईश्वर को नहीं पा सकेंगे!
उक्त विचार *🏵️पारिवारिक यज्ञ व सत्संग🏵️* के अवसर पर *विज्ञान खण्ड लखन ऊ* में दिए गये।
🌋 *वैदिक यज्ञमान परिवार🌋*
*[१]* आर्य पुत्री अद्विता त्रिपाठी।
*[२]* आर्य पुत्री श्रेष्ठा त्रिपाठी।
*[३]* श्रीमती नीलम त्रिपाठी।
*[४]* चिकित्सक अरविंद त्रिपाठी *गैस्ट्रो सर्जन* लखन ऊ।
🕉️ *हमारी अहर्निश सेवाएं*🕉️
हमारा लक्ष्य है मानव को अंधविश्वास,पाखंड,जड़ पूजा,फलित ज्योतिष व नास्तिकता से बचाकर शुद्ध सत्य सनातन वैदिक संस्कृति की ओर अग्रसर करके मातृ पितृ भक्त,राष्ट्र भक्त,व ईश्वर भक्त प्रधान मानव समाज का निर्माण करना उसके लिए हमारे मिशन के कार्यक्रम इस प्रकार हैं।
*पारिवारिक सत्संग 🌸 परिवार संगोष्ठी 🌸 परिवार संवादशाला 🌸चरित्र निर्माण शिविर 🌸 योगासन-प्राणायाम-योग चिकित्सा शिविर 🌸 अध्यात्म योग साधना शिविर 🌸 प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालयों में युवा जागृति शिविर🌸 वैदिक सोलह संस्कार 🌸 वेद-दर्शन-उपनिषद व्याख्यान माला 🌸 देश-परिवार,समाजिक व ईश्वर भक्ति से ओत-प्रोत वैदिक भजन माला🌸*
🌻संस्कार कार्यशाला🌻
*[१]* आचार्य सुरेश जोशी।
*[२]* पंडिता रुक्मिणी शास्त्री।
*आर्यावर्त्त साधना सदन*
पटेल नगर बाराबंकी उत्तर प्रदेश [भारत]
📱* 7985414636*📱