उठो ऐ मोमिनों आक़ा मेरे तशरीफ लाए हैं, हज़ारों नेमतें दामन में अपने लेके आए हैं, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

/ बारह रबीउल अव्वल पर विशेष /

उठो ऐ मोमिनों आक़ा मेरे तशरीफ लाए हैं, हज़ारों नेमतें दामन में अपने लेके आए हैं, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 4 सितंबर

मुम्बई संवाददाता,

सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ।

यह तो सारी दुनिया जानती है कि मेरे मुस्तफा जान ए रहमत सरकार ए मदीना सारे आलम के लिए रहमत बनकर आए। उनकी शिफायत के बग़ैर कोई भी कलमा गो जन्न्नत की खुशबू नहीं पा सकता है।

इसी के साथ मेरा रब ख़ुद फरमाता है कि मुझे अपने महबूब को दुनिया में अगर न भेजना होता तो इस जहाँ की तखलीक मैं न करता , मतलब यह हुआ कि आज हमें जो भी मिलता है वोह सब उन्हीं का सदका है जिनकी 1500 वीं जश्न ए वेलादत आज पूरी दुनिया बढ़ी ही अकीदत और मुहब्बत से लबरेज़ होकर मनाने जा रही है। और तब मुझ जैसे अदना से आशिक़ ए रसूल सलीम बस्तवी अज़ीज़ी को यह कहने का शर्फ़ होता है कि,

,,,, उठो ऐ मोमिनों आक़ा मेरे तशरीफ लाए हैं

हज़ारों नेमतें दामन में अपने लेके आए हैं

टूट जायेंगी ज़ंजीरें ज़माने में अब जुल्मत की

इमामुल अंबिया बनकर मेरे सरकार आए हैं,,,,

आज मुंबई ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में सरकार की आमद मरहबा के नारे गूंज रहे हैं। जगह जगह जश्न ए ईद मिलादुन्नबी के एहतमाम हो रहे हैं। आशिक़ ए रसूल अपने अपने अंदाज़ में झंडे और रोशनी का एहतमाम कर के मुहल्ले और बाजारों को सजा रहे हैं। तकरीरी बयान में उलमा हज़रात सरकार ए मदीना मुस्तफा जान ए रहमत की शान में नात ए मुस्तफा गुनगुना रहे हैं। साथ ही मुल्क में अम्न ओ अमाँ और शान्ति की दुआएं भी कर रहे हैं।