गाजा ,। गाजा पट्टी एक ओर जहां भुखमरी और मानवीय संकट से जूझ रही है, वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा पर पूर्ण कब्जे की योजना को कैबिनेट से मंजूरी दिला दी है। इस फैसले के बाद हमास के साथ सीजफायर को लेकर चल रही वार्ताएं अब अधर में नजर आ रही हैं। इजरायली मीडिया के अनुसार, नेतन्याहू ने गाजा को लेकर अपनी कैबिनेट के साथ हुई निजी बातचीत में पूर्ण कब्जे जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है, जिससे संकेत मिलता है कि वह किसी भी समझौते के मूड में नहीं हैं। नेतन्याहू ने गाजा में हमास के सैन्य ढांचे को पूरी तरह नष्ट करने के भी आदेश दिए हैं।
अप्रैल 2025 में उन्होंने गोलानी ब्रिगेड को राफाह, बेत हनून और बेत लाहिया जैसे क्षेत्रों में हमास के शेष ठिकानों को खत्म करने का निर्देश दिया था। इजरायली सेना का दावा है कि वह अब तक गाजा के लगभग 70 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर चुकी है। विशेष बलों को सुरंगों और हथियार भंडारण स्थलों को नष्ट करने का जिम्मा सौंपा गया है। नेतन्याहू का लक्ष्य हमास को न केवल सैन्य रूप से, बल्कि प्रशासनिक रूप से भी समाप्त करना है। उन्होंने गाजा के विसैन्यीकरण और हमास के पूर्ण खात्मे को अपनी शीर्ष प्राथमिकता बताया है।
वहीं, मई 2025 में हमास ने अमेरिकी मध्यस्थ स्टीव विटकॉफ के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 10 बंधकों की रिहाई के बदले 70 दिनों के युद्धविराम की बात मानी थी। लेकिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि युद्धविराम तभी संभव है जब हमास हथियार डाल दे और गाजा का नियंत्रण छोड़ दे। जुलाई 2025 में नेतन्याहू ने दोहराया कि युद्धविराम के लिए हमास को अपनी सैन्य क्षमताएं समाप्त करनी होंगी, जिसे हमास ने सिरे से खारिज कर दिया। इस असहमति के चलते मार्च 2025 के बाद से कोई ठोस सीजफायर समझौता नहीं हो पाया है।
अमेरिका, मिस्र और कतर जैसे मध्यस्थ लगातार दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बात हर बार हथियारों और शर्तों पर अटक जाती है। इजरायल का आरोप है कि हमास ने गाजा की सुरंगों में ईरान से मिले हथियार और क्रूड रॉकेट तकनीक का बड़ा जखीरा जमा कर रखा है, जिनका इस्तेमाल वह नागरिकों को ढाल बनाकर करता है। इससे संघर्ष और अधिक जटिल हो गया है।
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