परमात्मा को मंगलमय जानते हुए स्वधर्म का पालन करें : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

 

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र : एक कहावत अक्सर सुनने को मिलता है कि जीते जी कुछ ऐसा कर जाओ कि मरने के बाद लोग उसको याद रखें। ऐसे ही डेरा सच्चा सौदा आश्रम के अनुयायी हरिंद्र कुमार इंसा सुपुत्र गुलशन कुमार पिपली, कुरुक्षेत्र का मृत्यु उपरांत शरीर का दान उनकी बहन बिमला देवी, अशोक माटा बहनोई और भांजा सौरव ने जन कल्याण हेतु किया। श्रद्धांजलि भजन गाने के बाद और भगवान के सुमिरन के बाद श्रद्धा और भक्ति भाव पूर्ण मान सम्मान के साथ पानीपत मेडिकल कॉलेज में भिजवाया गया।
दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्थगुरु संघ हिमाचल के ज़ोनल कोऑर्डिनेटर और श्री दुर्गा देवी मन्दिर, पिपली, कुरुक्षेत्र के पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा, बाजीगर बादी सभा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल धर्मशौत, महेंद्र सैनी, सतपाल सैनी, राजकुमार इंसा, पंकज बजाज इंसा,गजेन्द्र सिंह रावत आदि मित्रों और परिवार के सदस्य उपस्थित रहे। डॉ. मिश्रा ने कहा कि मानव जीवन को परोपकार और श्रेष्ठ कर्म द्वारा सफल करना चाहिए। प्रभु का सुमिरन, सत्संग और सेवा श्रेष्ठ कर्म शास्त्रों में बताए गए है। समर्थगुरु धाम मुरथल हरियाणा के संस्थापक आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि परमात्मा को मंगलमय जानते हुए स्वधर्म का पालन करें। परमात्मा मंगलमय है, इसलिए हमे चिंता की कोई बात नहीं। स्वधर्म क्या है? भूत-भविष्य की चिंता नही करें। वर्तमान परिस्थिति मे हम क्या कर सकते है ? बस वही करें और आप देखेंगे कि एक साधक शांत रहेगा।