सरकार ने निर्णय वापस न लिया तो 20 जून को होगा प्रमुख अभियन्ता का घेराव
बस्ती। सिंचाई विभाग के 17 संवर्गो को मृत घोषित किये जाने के निर्णय के विरोध में बुधवार को सिंचाई संघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में अनेक कर्मचारी संगठनो के पदाधिकारियों, राज्य कर्मचारियों ने नलकूप कालोनी परिसर में धरना दिया। इसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री, सिंचाई मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा। कर्मचारी नेताओें ने चेतावनी दिया कि यदि सरकार ने सिंचाई विभाग के 17 संवर्गो को मृत घोषित किये जाने के निर्णय को वापस न लिया तो 20 जून को प्रमुख अभियन्ता कार्यालय लखनऊ के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जायेगा।
नलकूप कालोनी में आयोजित धरने को सम्बोधित करते हुये सिंचाई संघ के संरक्षक राम स्वारथ चौधरी, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद अध्यक्ष मस्तराम वर्मा, मंत्री तौलू प्रसाद, ट्यूबेल टेक्निकल संघ के सन्तोष राव, सिंचाई मिनीस्टीरियल संघ के मंत्री राजेश कुमार, चतुर्थ श्रेणी संघ के रामचरन, ड्राइंग स्टाप एसोसिएशन के शीतल प्रसाद, मुंशी संघ के उत्तम तिवारी, पेंशनर कल्याण संस्था के जिलाध्यक्ष जलालुद्दीन कुरेशी, सुभाष चन्द्र मिश्र, महेन्द्र चौहान, अर्जक समाज के राष्ट्रीय संयोजक गौरीशंकर आदि ने कहा कि 17 संवर्गो को मृत घोषित किये जाने का निर्णय कर्मचारी विरोधी है। सरकार शासनदेश को तत्काल प्रभाव से वापस ले, अन्यथा निर्णायक संघर्ष किया जायेगा।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष राम अधारपाल ने कहा कि सरकार जानबूझकर कर्मचारी हितांें पर कुठारघात कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। कहा कि 20 जून को लखनऊ में आयोजित धरना प्रदर्शन में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारी, कर्मचारी हिस्सा लेंगे।
धरना प्रदर्शन और ज्ञापन देने वालों में मुख्य रूप से परशुराम त्रिपाठी, राजेश कुमार, रामलखन, हनुमन्त पाण्डेय, हरेन्द्र सिंह, दिलीप पाठक, राहुल श्रीवास्तव, दीपक सिंह, विनोद कुमार, सन्तोष कुमार, राम बहादुर चौधरी, पुरूषोत्तम कुमार, उदयभान चौधरी, दिनेश कुमार सिंह, हरिश्चन्द्र गौतम, राजेश प्रसाद, रामलगन, सुधांशु मिश्र, आशुतोष तिवारी, नीतू चौधरी, शैलेश कुमार, राम सबेरे, राम सहाय, आशुतोष तिवारी, दीपक सिंह, दिलीप पाठक के साथ ही सिंचाई और अनेक कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी, राज्य कर्मचारी शामिल रहे।