,,, पहलगाम आतंकी घटना पर विशेष,,,,
कोई ख़्वाब यहाँ तुम देखो न कि यह कश्मीर तुम्हारा है, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,,
अनुराग लक्ष्य, 28 अप्रैल
मुम्बई संवाददाता।
,,,आओ नफ़रत की यह दीवार गिरा दी जाए,
इक नई दुनिया मुहब्बत की बसा दी जाए ,
अम्न का दीप जलेगा ज़रूर भारत में,
गंगा जमुना की लहर फिर जो बहा दी जाए,,,
जी हाँ, वक्त का तकाज़ा यही है कि इस संकट की घड़ी में हम हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैसे खोखले मतभेदों को भूलकर देश की सुरक्षा अम्न और शांति की बात करें, जिससे देश के दुश्मनों के हौसले पस्त हो जाएं।
हाँ यह भी सत्य है कि समय ने कभी हमारे बीच विभाजन की लकीरें खींच दी थीं जिसका खामियाजा आज हर हिन्दुस्तानी अपनी आंखों से देख रहा है। तभी तो मेरी ज़बान पर बर्बस ही यह पंक्तियाँ उभर आती हैं, कि,
,,,, हमारी मिट्टी में क्यों ज़हर मिला दिया तूने,
ज़रा सी बात पर हिन्द/पाक बना दिया तूने,
ज़माना कहता है कश्मीर एक जन्नत है,
बस इतनी बात पर उसको जला दिया तूने,,,,
लेकिन आज वर्तमान का दर्द कुछ और ही बयाँ कर रहा है। जो देश वासियों की मांग है और वक्त की ज़रूरत भी। ताकि पहलगाम जैसी घटना से देश वासियों को फिर दोचार न होना पड़े। उसके लिए ज़रूरी है कि मेरे इन अशआर को सामने रखकर हर हिन्दुस्तानी आज एकजुट हो जाए, कि,
,,,, कोई ख़्वाब यहाँ तुम देखो न कि यह कश्मीर तुम्हारा है,
तुम कहते हो जिसको अपना वोह भी कश्मीर हमारा है,
कोई जँग छिड़ी अबकी तो नाम ओ निशान नहीं होगा,
कश्मीर तो मेरा होगा ही कराचिस्तान नहीं होगा,
जो कहते हैं अक्सर मुझसे कि हिन्दुस्तान नहीं होगा,
मैं कहता हूँ उनसे सुनलें कि पाकिस्तान नहीं होगा,,,
इस लेख को एक आम भारतीय की नज़र से पढेंगे तो आपको मेरे जज़्बात ज़रूर सच दिखाई देंगे। शुक्रिया।