देखो पाग पहन वासंती,
पछुआ संग होली आयी।
फाग का भंग चढ़ा है ऐसे,
की हर कोई बना कन्हाई।। १
देखो पाग पहन वासंती……
छुप २ कर कोयल कू के,
और पपिहा शोर मचाये।
चर्तु दिशाएं रंग रूहानी,
और सबका ही मन भाये।। २
देखो पाग पहन वासंती…….
मां धरती की धानी चुनरिया,
खूब लहर – लहर लहराये।
खेत और खलिहान भरे सब,
मनवां चैता फाग सुनाये।।३
देखो पाग पहन वासंती…….
तिनका – २ हुलस रहा है,
और महक रही अमराई।
कली – २ पर भंवरा गूंजें,
और कलियां हैं अलसाईं।।४
देखो पाग पहन वासंती…….
मदमाती सी चलें हवाएं,

और हर काया अलसाई।
प्राणि मात्र में पुष्प वेदना,
और तितली भी इठलाई।।५
देखो पाग पहन वासंती…….
मेल मिलाप कराये होली,
और कलमस दूर भगाये।
संबंधों की डोर खींच कर,
सब को ही मिलवाये ।।६
देखो पाग पहन वासंती……
ममता का विश्वास है होली,
पत्नी की भी आस है होली।
दोनों ही पथ दीढि लगायें,
जब – जब होली आये ।।७
देखो पाग पहन वासंती…..
हर रिश्ते में रंग मिलाकर,
होली करती चंग मिताई ।
पर देवर भाभी के रिश्ते ऐसे,
जैसे गरमी में ठण्ढाई।।८
देखो पाग पहन वासंती…….
हमारी तरफ से आप सभी लोगों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
बाल कृष्ण मिश्र ‘कृष्ण’
12.03.2025