बस्ती२३ जुलाई इन्द्र-अवध सदन भूअरनिरंजनपुर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत पुराण कथा में पांचवे दिन रविवार को श्रीकृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। कथा व्यास आचार्य शत्रुहन शुक्ल ने कहा कि सदा सुख केवल भगवान के चरणों में है। भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा है। भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है इसलिए व्यस्त जीवन से समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिए। कथा व्यास ने कहा कि भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है इसके श्रवण करने से मनुष्य अमर हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है। भागवत कथा को पांचवां वेद कहा गया है जिसे पढ सकते हैं और सुन सकते हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं। कथा व्यास ने यजमान इन्द्रावती, शैलेश उपाध्याय ,डॉ.सौम्या , डॉ. अरुण उपाध्याय को बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। इस मौके पर पूर्व मुख्य अभियंता राजीव लोचन मिश्र,डॉ. आरती मिश्रा, आरपी पाठक, रामकृष्ण पाण्डेय, हनुमान पाण्डेय, अच्युतानंद पाण्डेय, शालिनी, लीला सिंह, नीता उपाध्याय, गिरजा द्विवेदी,संतोष उपाध्याय, राहुल समेत बड़ी संख्या में श्रीमद् भागवत कथा प्रेमियों ने कथा सुनी।
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