संवेदनाओं की कवयित्री – डॉ अनुषा

संवेदनाओं की कवयित्री – डॉ अनुषा नौ
कविताओं की अभिव्यक्ति मन को सकून देती है जिसमें कवि अपनी बातों को सहज और सरल रुप में कह पाता है प्राय साहित्य किसी भी भाषा का क्यों न हो साहित्यकार की पहली पसंद कविता ही होती है कवयित्री डा अनुषा भी उन्हीं में एक है उनकी कविताएं संवेदनाओं के साथ बहुत सी संभावनाएं सहेजती नजर आती है उनकी कविता पूर्व पीठिका का निमार्ण करती है जिसमें वह स्वंय के प्रयोगात्मक रुप में देखती है उनका प्रयोग पहले खुद पर है उनकी कविता का उत्स हमेशा संभावनाओं को संवेदनाओं के बीच तलाश करता हुआ आगे बढ़ता है कह सकते हैं उनकी कविता खुद का यथार्थ है जिसमें जीवन के विविध संदर्भ है उनकी पीड़ा खुद ही कविता बनती है इसलिए उन्होंने कविताओं के माध्यम से प्रतिमान गढ़े हैं
संवाद प्रकिया उनकी कविता का एक विशेष संदर्भ है कविता में वार्ता और उसकी पूरी अर्थ वक्रता कविता को पूर्ण बनाती है उनकी कविता’ बाप -बेटी संवाद ‘जिसे उन्होंने स्वयं भोगा और कविता के बहाने जन तक पहुंचाने का प्रयास किया है बाप बेटी संवाद में वह स्वंय स्वकथन की प्रकिया में खुद से प्रश्न करती है और स्वयं उत्तर ढूंढती नजर आती है इस कविता में पुत्री के जन्म से लेकर उसको अतुल सागर सा प्रेम देने साथ उसके समस्याओं के बहुत से प्रश्नों का उतर भी है संपूर्ण कविता में स्वकथन भरा पड़ा है वह लिखती हैं –
पैदा न किया सही/मैंने तुम्हें
फिर भी /दे दिया स्नेह का
अतुल सागर ….
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पुत्री / वयस्क अजब उठती है /दिल में सही
सच्चा स्नेह आप का /मां के दूध में पनपता है
उनकी कविता हमेशा संभावनाओं के बीच पनपती है जिसका मूल उनका खुद का भोगा यथार्थ है वह ईश्वर की सच्ची साधक होने के साथ उनसे अपनी बात भी कहती नजर आती है वह अपनी कविता ‘भगवान से शिक़ायत ‘ ईश्वर से प्रार्थना के साथ उन्हें क्षमा न करने का जो उत्तर देती है उसमें उनकी पीड़ा अपने को छोड़ने और ईश्वर के निमित्त रक्षा का जो प्रश्न है वह उनका स्वयं का भोगा रूप है जिसमें व संदेशात्मक और उपदेशात्मकता रूप दोनों व्यक्त करती नजर आती है संपूर्ण कविता में अपने लोगों के चिंता , ईश्वर की वंदना न कर पाने की क्षटपटाहट जैसे अनेक प्रतीकात्मक संदर्भ की यह कविता सचमुच उनकी ईश्वर से शिक़ायत के साथ प्रार्थना भी है वह लिखती हैं –
हमें नहीं आता /तुम्हारी पूजा करने का तरीक़ा
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तुमसे एक विन्रम निवेदन है जिन अपनों को छोड़कर यहां आये !
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उन लोगों की /और मेरी/ रक्षा करना
वरना मेरा दिल तुम्हें क्षमा न करेगा
वे ईश्वरीय साधना के प्रति अपार श्रद्धा रखती है और ईश्वर से वार्ता करती भी नज़र आती है ईश्वर से सवाल जबाब भी उनकी कविता का विरोध संदर्भ रहा है भारत में जन्मे भगवान बुद्ध से प्रतीकात्मक वार्ता में वह ‘ भारतवासियों के उद्धार न करने की शिक़ायत करती नजर आती है
हे बुद्ध भगवान
तूने ठीक तो किया /अपने जन्म के लिए भारत को चुन लिया
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तूने ठीक नहीं किया /हां ठीक नहीं किया
क्यों कि तूने /भारत वासीयों का उद्घार नहीं किया
वह कविता के बहाने अपनी इच्छा , अपना एहसास , संवेदना सब कुछ में सक्षम है कविता उनकी वह अनुभूति है जिसे उन्होंने अपने स्नेह से सींचा है
उनकी कविता में छायावाद की बहुत सी विशेषताएं देखी जा सकती है किंतु यह कहा जाए केवल छायावाद ही उनकी कविता में है तो न्याय संगत नहीं होगा क्योंकि कि प्रगतिशील एवं प्रयोगवादी कविता का केंद्र संदर्भ भी उनकी कविता में खूब व्यंजित हुआ है लेकिन एक पैनी दृष्टि देखी जाए तो पता चलता है छायावाद का प्रभाव ज्यादा उन पर पड़ा है छायावादी विशेषता का प्रेम ऐसा ही एक संदर्भ है जिसे अपनी कविता ‘मोहब्बत ‘में प्रस्तुत किया है उनका प्रेम निश्छल और शाश्वत है उनका प्रेम एहसास और संवेदना का है जिसमें न मिलकर भी प्रेम की अभिव्यक्ति है वह लिखती है-
मोहब्बत/ तेरी मेरी /मिली नहीं
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एक न एक दिन जिस संसार में
जहां हमें मिलना चाहिए था
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जहां हमें मिलना चाहिए था
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झेलेगे हम/ सह लेगे/इन सब को
एक प्रकार से उनका प्रेम संदर्भ एक आशा लिए उस पल उस प्रेम का एहसास करती है जब वह मिलेंगे -एक प्रकार से उनका प्रेम आलौकिक है वह हमेशा स्नेह को एहसास और संवेदनाओं के बीच प्रस्तुत करने वाली कवयित्री है आंसू चाहे मिलने का हो या बिछड़ने बड़ा दुखदायी होता है मिलन के आंसू सुख के बिछड़ने के आंसू हमेशा दुःख के होते हैं अनुषा जी ने इसे अपनी कविता ‘आसू’मे उसकी महत्ता को प्रदर्शित करती है वह लिखती है-
हमारा अंतिम मिलन
हमारा सर्वप्रथम मिलन
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जैसा सुखपूर्वक या स्नेहमयी नहीं था
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प्रथम मिलन में/ खुशी के आंसू थे
फिर भी/ अंतिम मिलन मे / वे आंसू
दुःख के आंसू में/ बदल गये
मां के रुप को सभी कवियों ने अपनी कविता में स्थान दिया है सभी कवियों ने पारय मां को स्नेह , प्रेरणा के रूप में ज्यादा रेखांकित किया है किंतु अनुषा जी ने मां के विभिन्न रूप परसतू किया है वह लिखती हैं –
रोते हुए हंसती है /हंसते हुए रोती ह दुःख दर्द अपना सह लेती
दूसरों को भी अपनाती
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जब भी /जो भी /किसी के चाहने पर
उपस्थित हो जाती /भूलकर
अपने आप को /हर पल
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अपने लिए नहीं दूसरों के लिए
जीवन बीताती मां
ममत्व के भाव को उन्होंने कविता में जो प्रस्तुत किया है उसके हर एक रूप एवं समय को जो दिखाने का प्रयास किया है वह सचमुच अतुलनीय और विचारणीय है उनके विचार उनकी कविता में उतरते हैं जन को उन विषयों पर सोचने के लिए बाध्य करते हैं कविता उनके जीवन मैं रची बसी है कविता उनकी एक प्रकृति सहचरी भी है जिसे उन्होंने अपने फेसबुक माध्यम से उसके उद्दीपन और आलंबन दोनों रूप को खूब व्यंजित किया है उनकी कविता मैं मौसम संदर्भ रूप भी देखने को मिलता है
वह लिखती हैं
सर्दी आया मचल मचल कर
मन को भाया संभल संभल कर
पर ………………
दिल तो रोय बिलख बिलख कर…………………………………
मौसम बदला है /सर्दी की आहट
सुनायी दे रही है /धीरे धीरे
दिल भी फूला नहीं समाएगा
यदि /सुनायी दे रही
उसकी आहट भी
धीरे धीरे
उम्र का पड़ाव हमेशा कुछ सीख दे जाता है यह शाश्वत सत्य है चूंकि अनुषा जी की कविताओं में सत्य छायावादी कविता के रूप में दिखता है छायावाद उनमें रचा बसा है इसलिए वह उसके मोह से विमुख नहीं हो पाती है इसलिए उसी छायावाद के सहारे उसे व्यक्त करने का प्रयास करती है ‘मेरा चांद ‘कविता में वह छोटे उम्र से लेकर उम्र के आखरी पड़ाव बुढ़ापे में चांद के कई रूपों को प्रस्तुत किया है सोने की थाली मैं चांद खरगोश की तरह था और बुढ़ापे में चांद को राहु ने निगल लिया था संपूर्ण कविता में उम्र के कई पड़ाव को प्रस्तुत करने के साथ कविता के अंत में कहना फिर भु मंडली में चमक धमक रह गया था उसे प्रगतिशीलता के नजरिए से देखने का प्रयास करती है ….
जब मैं छोटा था / जब चांद
सोने की थाली थी /जिसमें खरगोश भी /बड़ा प्यासा सा दिखाई दिया
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बुढ़ापे मे /मैंने
अपने चांद को ढूंढा /तब देखा
राहु द्वारा निगल गया था
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फिर भी मंडली में /चमक धमक
पूरी तरह रह गया था
अनुषा जी की कविता एहसास और संवेदना के साथ यथार्थ पर रची कविताएं हैं उनकी कविता का संदर्भ हमेशा अनेक संभावनाएं लिए हुए दिखाई देता है वहां कल्पना भी यथार्थ सा दिखता है अभी तक उनके द्वारा जो कविता संबंधी रचनाएं जन के समक्ष आयी है उसमें मानवीय मूल्य जीवन संदर्भ के साथ प्रकृति संवेदनाओं का जो स्वरूप उन्होंने प्रस्तुत किया है वह विशेष रुप से उल्लेखनीय है वह हिंदी कविता रचना संसार में कविता के उतरोतर विकास की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर है