🪔 ओ३म् 🪔
*बुराईयों से कैंसे बचें?*
ओ३म् भद्रं कर्णेभि: श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।
स्थिरैरड़्गैस्तुष्टुवां सस्तनूभिव्यर्शेमहि देवहितं यदायु:।।यजु०२५/२१
🌹 *मंत्र का भावार्थ*🌹
हे मनुष्यो! सदा वैदिक विद्वानों की संगति में रहकर कानों से वही बातें सुनें जिससे मानव का कल्याण हो।ईश्वर द्वारा प्रदत्त आंखों से वही चित्र देखो जिससे चरित्र का निर्माण हो। संयमित जीवन से इंद्रियों को स्वस्थ बनाकर विद्वानों की आयु को प्राप्त करो!
🪷 *मंत्र की व्याख्या*🪷
माता पिता आचार्य विद्वानों की संगति से शरीर,मन,बुद्धि,आत्मा का विकास होता है।इसके विपरीत दुर्गुणी व्यक्ति की संगति दुर्गति की ओर ले जाती है। दुर्गुणों से मानव का पतन कैंसे होता है ?इस पर एक *एतिहासिक घटना* से प्रकाश डालते हैं।
महाराजा भोज ने अपने सभागार में एख आध्यात्मिक सत्संग रखा उसमें संस्कृत का एक वाक्य बनाकर दिया कि इस वाक्य से श्लोक बनायें।वाक्य था *नस्टस्य का अन्या गति:?*
महात्मा कालीदास ने कहा प्रतीक्षा करें उत्तर मिलेगा!दूसरे दिन महाराजा भोज नगर दर्शन करने चले तो रास्ते में एक साधु मिला।उसने कमंडल आगे बढ़ाकर भिक्षा मांगी।महारोज भोज ने कमंडल मे भिक्षा रखते समय उसमें मांस के टुकड़े देखकर कहा!
*भिक्षो त्वं पिशिताशनं प्रकुरुषे?* अर्थात्! हे भिक्षु तुम साधु होकर भी मांस खाते हो? साधु ने कहा!
*किं तेन मद्यं बिना?* महाराज बिना शराब के मांस खाने में क्या मजा?, महाराजा भोज बोले!
*मद्यं चापि तव प्रिये?* हे साधो? क्या तुम शराब के भी दीवाने हो? साधु ने उत्तर दिया। *वारागंना सह!* राजन!शराब का मजा तो वैश्याओं के साथ में ही है।महाराजा भोज बोले!
*तेषां अर्थरुचे कुतस्तव धनम्?* हे साधो! वैश्याएं तो धन की लोभी होती हैं उनके लिए धन कहां से लाते हो? साधु ने कहा!
*चौर्येन द्यूतेन वा!*
राजन! चोरी करता हूं या जुआं खेलता हूं।राजा ने फिर पूछा?
*चौर्ये द्यूत परिग्रहो अपि भवत:!*
साधु होकर भी तुम चोरी व जुआं खेलने का पाप करते हो? इस पर साधु ने कहा!
*नष्टस्य का अन्या गति:?*
महाराज! दुर्गुणों में फंसे व्यक्ति की और क्या गति हो सकती है? इतना सुनते ही महाराजा भोज चौंक गये और उन्हें समझने में देर न लगीं!, बोले ओह! आप महाकवि कालीदास हैं? आपने साधु का वेश क्यों बनाया? कालीदास बोले! महाराज में प्रैक्टिकल करके बताना चाहता था कि दुर्गुणों में फंसे व्यक्ति की क्या-क्या दुर्गति हो सकती है।महाराजा भोज ने कालीदास कवि जी का आभार प्रकट किया। इस प्रकार उपरोक्त वेद मंत्र द्वारा ईश्वर प्रेरणा कर रहा है कि हे मानव! *सदा शरीर,इंद्रियों,मन,बुद्धि* से पवित्र काम करो। विद्वानों की संगति से मानव जीवन को सार्थक करें।
🥝 🥝 *आज के सत्संग*
आज आर्य समाज मंदिर सैजपुर वोघा।आर्य समाज थलतेज व आर्य समाज कांकरिया में सत्संग के आयोजन हुए।जिसमें *पंडिता रुक्मिणी शास्त्री* के भक्तिमय गीतों को सुनकर नर/नारी भाव विभोर हुए!
आचार्य सुरेश जोशी
*प्रवासीय कार्यालय*
आर्य समाज मंदिर सैजपुर बोघा अहमदाबाद गुजरात
☎️ *7985414636*