सनातन परिवारों में गृह -प्रवेश- आचार्य सुरेश जोशी

🌹ओ३म् 🌹
*सनातन परिवारों में गृह -प्रवेश*
संपूर्ण विश्व में केवल सत्य सनातन वैदिक धर्म ही ऐसा चि़तन है जो *शतप्रतिशत वैज्ञानिक,शास्त्रीय,तार्किक,प्रामाणिक एवं समसामयिक है।* वैदिक धर्म में कर्मकांड के दो मुख्य स्तंभ हैं।🔥 एक यज्ञ और दूसरा संस्कार 🔥 कोई भी शुभ कर्म वा संस्कार से प्रथम वैदिक ऋषियों ने यज्ञ को अनिवार्य बताया है। यह व्यवस्था *महर्षि ब्रह्मा से जैमुनि मुनि पर्यंत* अनवरत रुप से चली आई! महाभारत काल में *कौरव पांडवों के युद्ध से वैदिक व्यवस्था छिन्न -भिन्न* होने से देश में मत-मतांतरों की भीड़ आ ग ई।परिणाम स्वरुप 🔥 यज्ञ संस्कारों का स्थान अवैदिक पूजा -पाठ,काल्पनिक भूत-प्रेत पूजा,जादू -टोना,फलित ज्योतिष व वास्तु शास्त्र ने ले लिया।🔥ऋषियों की व्यवस्था को छोड़कर गुरुडम वाद को जन-साधारण ने अपना लिया!
🌻वास्तुशास्त्र का पाखंड🌻
वर्तमान समय में हिंदू जाति का *वास्तु शास्त्र के पाखंड में आकंठ डूब गया है।* व्यवसायी पंडे धर्म शिक्षा से हीन 🦩 आई ए एस,डाक्टरों,वकीलों,इंजीनियरों,अधिकारियों🦩 के आलीसान बंग्लों को यह कहकर तुड़वा रहे हैं कि आपका किचन,टायलेट,बैठकगलत दिशा में है।ये वास्तु दोष है। इन तथाकथित पंडों के झांसे में आकर *आंख के अंधे गांठ के पूरे* अपने मकानों को अविलंब तोड़कर नया बनाने मे जुटकर अपनी *समय,शक्ति,धन* सबको नष्ट करने में लगे हैं।इसका दोष हमारी सरकारों को जाता है कि उनकी शिक्षा प्रणाली में *विशुद्ध,वैज्ञानिक धर्म व संस्कार की न पुस्तकें हैं न ही विद्वान।* परिणाम स्वरुप आज सबसे अधिक *पाखंड,अंधविश्वास,अंधश्रद्धा,आडंबर,चमत्कार ,भूत-प्रेत से प्रभावित उच्च शिक्षित व उच्च प्रशासनिक लोगों* में है।इन उच्च शिक्षित लोगों की *भेड़चाल* का अनुकरण सामान्य नागरिक करते हैं।
🌸 *वैदिक वास्तुशास्त्र*🌸
अब आपको यह बताना चाहते हैं सत्य सनातन वैदिक धर्म में *वास्तुशास्त्र* की परिभाषा क्या है।👁️अथर्थवेद के कांड -९ सूक्त-३ मंत्र-७👁️में इस प्रकार से वर्णित है।
*ओ३म् हविर्धानम् अग्निशालं पत्नीनां सदनं सद:।*
*सदोदेवानामसि देवि शाले।।९/३/७*
अब जरा ध्यान से इस मंत्र का स्वाध्याय करके *वास्तुशास्त्र के प्रचलित पाखंड* से बचें और लोगों को पाखंड से बचायें।मंत्र के एक-एक पद पर विचार करें!
🍁 *हविर्धानम्* 🍁
घर में यज्ञशाला होनी चाहिए।यजमान डाक्टर है।यज्ञशाला अस्पताल है।दूषित वायु ही रोग चक्र है।यज्ञाग्नि दूषित वायु को बाहर निकालती है व ज्ञात-अज्ञात रोगों से बचाती है।
🍁 *अग्निशालम्*🍁
अर्थाभाव में पूरा घर न भी बन सके तो *यज्ञशाला व पाकशाला* को प्रथम स्थान दें।भोजन सब कार्यों के मूल में है।पेट भरने पर ही मानव सब कार्यों में प्रवृत्त होते हैं।
🍁 *पत्नीनां-सदनम्*🍁
एक कक्ष ऐंसा हो जिसमें स्त्रियां स्वतंत्रता पूर्वक बैठ सकें। स्त्री की सुरक्षा से पुरूष से अधिक होनी चाहिए। *पत्नीनां* शब्द में बहु-वचन है।इसका अर्थ बहु-पत्नी न होकर माता,बहन,पत्नी,पुत्र आदि स्त्री समाज से है।
🍁 *सद:* 🍁
पुरुषों के बैठक को *सद:* कहते हैं।जहां पर बैठकर घर के पुरुष बैठकर बाहर के ,पड़ौस के, सामाजिक प्रतिष्ठित पुरुषों को बैठा सके!
🍁 *सद:देवानाम्*🍁
विद्वान ,सन्यासी,ब्रह्मचारी,वानप्रस्थी,धर्मात्मा लोगों के लिए एक कक्ष अलग से हो जो बैठकर एकांत उपासना कर सकें। प्राचीन आर्य *प्रसूता कक्ष,रोगी कक्ष,कोपभवन,नर व मादा पशुओं* के भी अलग-अलग कक्ष बनाते थे।
ये है *वैदिक धर्म का सर्वश्रेष्ठ वास्तु शास्त्र* इस योजना से जिनके घर बनते है उनका *प्रचलित पाखंडियों द्वारा मन-गढ़त वास्तुशास्त्र* बाल बांका भी नहीं कर सकता।
आज इसी *वैदिक वास्तुशास्त्र को प्रमाण मान कर दो आर्य परिवारों में* गृह प्रवेश संस्कार सम्पन्न कराया गया।उन परिवारों का परिचय इस प्रकार है!
*प्रथम आर्य परिवार*
श्रीमान् अजय प्राचार्य
सरस्वती ज्ञान मंदिर विहरा बाजार महारागंज बस्ती।
*द्वितीय आर्य परिवार*
श्रीमान् अलख निरंजन आर्य ।आर्य निवास।राजा बाजार बस्ती!
हमें सत्य सनातन वैदिक धर्म को एक न एक दिन अपनना ही होगा।तभी हम पाखंड से बच सकते हैं।
आचार्य सुरेश वैदिक प्रवक्ता
*सचल कार्यालय*
🍁 इंटरसिटी एक्सप्रेस🍁
*C-2/41-42 टिनिच*