आज जन्माष्टमी का त्यौहार ।
मन में छाई खुशी अपार ।
चारो तरफ हर्ष ही हर्ष ।
कृष्ण हमारे लोकादर्श ।
कृष्ण प्रेम के थे अवतार ।
किया राक्षसों का संघार।
जब वंशी की तान सुनाते ।
नर-नारी सब थे हरषाते ।
प्यार किया मनुहार किया ।
कुब्जा का उद्धार किया ।
द्रुपद सुता की रक्खी लाज ।
‘वर्मा’ हमें कृष्ण पर नाज ।
गीता का उपदेश सुनाया ।
जीने का अंदाज बताया ।
किया सभी असुरों का दमन ।
कृष्ण ! तुम्हें है कोटि नमन ।
प्रकृति नटी सचमुच हरषाई ।
आज का दिन है अति सुखदाई ।
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर ।
‘वर्मा’ देता तुम्हें बधाई ।
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*डा० वी० के० वर्मा*
*आयुष चिकित्साधिकारी,*
*जिला चिकित्सालय-बस्ती*