🌹🌹 ओ३म् 🌹🌹
🌸 * श्रीकृष्ण भोगी नहीं योगी*🌸
हिंदू समाज ने भगवान कृष्ण को *छलिया,राधा का प्रेमी, गोपियों संग रास रचाने वाला,माखन चोर कहकर उनके वास्तविक इतिहास को कलंकित किया है।*
वास्तव में श्रीकृष्ण योगी,वेदज्ञ, राष्ट्र भक्त, समाजसेवी, कूटनीति के धुरंधर पंडित ,एवं अद्वितीय महापुरुष थे। ऐसे में उनका वास्तविक इतिहास हर भारतीय को जानना चाहिए।इसी संदर्भ में *कुछ प्रश्नोत्तरी* प्रेषित की जाती है। जिनके उत्तर भी क्रमश: दिए जाते हैं।
🪷 *पांच प्रश्नों की श्रृंखला*🪷
[ १ ] क्या योगीराज श्री कृष्ण भगवान
हैं?
[ २ ] क्या वह माखन चोर थे ?
[ ३ ] क्या उन्होने 1600 कन्याओं से
कन्याओं से विवाह किया था?
[ 4 ] क्या उन्होंने राधा जी से प्रेम कर
बाद में उनको धोखा देकर माता
रुक्मिणी से विवाह कर लिया!
[ ५ ] क्या श्रीकृष्ण श्रेष्ठ पुरुष थे ?
🌰 *क्रमशः पांचों प्रश्नों के उत्तर*🌰
[ उत्तर -1 ] योगीराज श्री कृष्ण महाराज जी हमारे भगवान ही है। यहाँ समझने वाली बात यह है कि श्री कृष्ण महाराज के साथ जोड़े गये भगवान शब्द का भाव ईश्वर से नहीं अपितु उन श्रेष्ठ पुरुषों से हैं जो बहुत ही श्रेष्ठ कर्मों के कारण जाने जाते है और उनको उन कर्मों की स्तुति हमें करनी चाहिए अर्थात् उन्के कर्म हमारे लिये लाभदायक हैं इसलिए वह कर्म की स्तुति कर उन्हें अपने जीवन में उतारना ही भजनीय शब्द का भाव हैं। *इसलिए उन्हें भगवान कहते हैं और वह हमारे भगवान (श्रेष्ठ पूर्वज) हैं।*
[ *टिप्पणी* ]भगवान शब्द श्रेष्ठ पूर्वज व ईश्वर दोनों के लिये प्रयोग होता हैं और श्री कृष्ण महाराज जी के साथ भगवान शब्द का प्रयोग हम श्रेष्ठ पूर्वज के लिये करते हैं। (इसी कारण हम अपने अनेकों श्रेष्ठ पूर्वजों को भगवान बोलते हैं जैसे श्री राम भगवान, श्री कृष्ण भगवान, श्री शिव भगवान इत्यादि।
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[ *उत्तर -२* ] श्री कृष्ण कोई माखन चोर नहीं थे। हमें ज्ञात होना चाहिए कि श्री कृष्ण जी का जन्म एक सभ्य समाज में हुआ था और उनके घर बहुत सारी गाय थी क्योंकि *उनके पिता जी का दूध, दही व घी का ही व्यापार था।* जिस कारण उनकी कंस से भी लड़ाई हुई थी। अब हमें याद रखना चाहिए कि यदि हमारे घर में बहुत सारा दूध, दही व माखन हो तो क्या हम अपनी संतान को माखन नहीं देंगे? 🌸 ख- श्रेष्ठ समाज में लालन-पालन पर कोई भी माँ अपने बेटे को चोरी करना सिखायेंगी? यदि हम इन प्रश्नों को अपने उपर ही दोहरावे तो हमें श्री कृष्ण महाराज जी के माखन चोर न होने का उत्तर मिल जाता हैं। लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों ने अपने बजार चलाने के लिए, श्री कृष्ण भगवान को माखनचोर और शरारती, नटखट बालक बोल दिया और लोगों ने उसे अज्ञानता में मान भी लिया। हमें विचार करना चाहिए क्या स्वयं अपनी संतान को नटखट, शरारती या चोर बनाना चाहेंगे? उत्तर आपके मन में स्पष्ट हैं, नहीं। तो फिर माता यसोदा ऐसा कैसें कर सकती हैं? ये सब झुठी बाते दूसरे पंथ के लोगो ने सनातन धर्म को बदनाम करने के लिये और अपने पंथ को श्रेष्ठ बनाने के लिये हमारी पुस्तको में छेड़छाड़ हमारे ही स्वार्थी लोगों को खरीद इतिहास को बदलने का प्रयास मात्र से की थी। इस पर हमें विचार अवश्य ही करना चाहिए।
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*[ उत्तर -३ ]* जब श्री कृष्ण जी मथुरा के महाराज बने, तो किसी दुष्ट राजा ने 1600 लड़कियों को बन्दी बना लिया। जब श्री कृष्ण महाराज जी को यह बात पत्ता चली तो उन्होंने उस दुष्ट राजा पर चढ़ाई कर, उन सभी 1600 अविवाहित लड़कियों को छुड़ा लिया और अपने राज्य की तरफ चल दिये। उन सभी लड़कियों ने श्री कृष्ण महाराज जी का रथ रोक उनसे कहाँ कि हे महाराज! हम सभी दुष्ट राजा के अपरहण का शिकार हुई हैं अब हमें हमारे समाज व राष्ट में वह इज्जत नहीं मिलेंगी, ना ही हमसे कोई शादी करेंगा, हो सकता है कि हमारे परिवार व राज्य के लोग भी न अपनावे, तो हमारा जीवन तो खतरे में हैं। *ये सब बात सुन श्री कृष्ण महाराज जी उन्हें अपने राज्य में ले आये व उनको तसल्ली दी कि मैं आप सभी की रक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी लेता हूँ। फिर उन्होनें उन सभी की शादी अपने राज्य में करवाई और उनकों अच्छा जीवन दे उनकी रक्षा की।*
*[ उत्तर -४ ]* भगवान श्री कृष्ण महाराज जी ने कभी किसी राधा नाम की लड़की से कोई प्रेम नहीं किया। *ये सब मिथ्या बाते हैं श्री कृष्ण महाराज जी का पूरा जीवन काल महाभारत काल का हैं। वहाँ कही भी राधा नाम की लड़की या स्त्री का श्री कृष्ण से कोई संबन्ध नहीं हैं। पुराणों को छोड़ कहीं किसी पुस्तक में श्री कृष्ण महाराज जी के साथ राधा शब्द का वर्णन नहीं हैं केवल ब्रह्मवैवर्त पुराण में दुष्ट लोगों ने राधा का संबन्ध श्री कृष्ण महाराज जी से बताया हैं जो कि बहुत ही भंद्र और निन्दित कर्म है इन दुष्ट पाखंड़ियों का।*इससे अलग भगवतगीता या भागवत कथा में कही भी राधा शब्द तक नहीं, स्त्री या प्रेम तो बहुत दूर की बात हैं।* लेकिन लोगों ने अपना व्यापार चलाने के लिए श्रेष्ठ पुरुष को प्रेमी (महत्वकांक्षी) पुरुष बना दिया।
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*[ उत्तर -५ ]*श्री कृष्ण महाराज जी एक श्रेष्ठ पुरुष थे उपर के उदाहरणों से भी हमें इस बात का ज्ञान होता हैं और एक ओर श्रेष्ठ परमाण इस बात का हमारे पास हैं। जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ तो श्री कृष्ण महाराज जी से माता रुक्मणी ने एक पुत्र की इच्छा करी और कहा कि महाराज आपके बाद भी कोई ऐसा होना चाहिए जो प्रजा का पालन-पोषण कर सके इसलिए हमें अपनी संतान के बारे में विचार करना चाहिए। श्री कृष्ण महाराज जी भी इस बात पर सहमत हुये लेकिन उन्होंने माता रुक्मणी से कहाँ कि हे देवी! अभी-अभी कोरव-पाण्ड़वों के युद्ध से हम आये है और मन मैं अनेकों प्रकार के विचारों की स्तुति हैं जिस कारण अभी उस प्रकार की संतान की प्राप्ति नहीं हो सकती जो आपको चाहिए। इसके लिये हमें अभी तप करना होगा। इसके लिये वे दोनों राज-काज सेनापतियों के हवाले छोड़, वन में चले गये। उसके बाद केवल एक संतान को जन्म दिया, जिसका नाम प्रद्युम्न रखा। *इतिहासकार बताते हैं कि जब प्रद्युम्न बड़ा हुआ तो उनकी शक्ल श्री कृष्ण महाराज जी से मिलती थी। जब कभी प्रद्युम्न महल जी में आते तो लोग खड़े हो जाते कि श्री कृष्ण महाराज जी आ गये, फिर प्रद्युम्न जी उन्हें समझाते कि मैं तो प्रद्युम्न जी हूँ महाराज तो अभी आ रहे हैं। कभी ऐसा होता कि श्री कृष्ण महाराज जी आते और लोग समझते कि ये तो प्रद्युम्न जी है और खड़े नहीं होते। तब श्री कृष्ण महाराज जी उनसे बोलते कि क्या आप प्रसासन का सम्मान करना भुल गये। फिर एक दिन सभी ने श्री कृष्ण महाराज जी से अपील की महाराज कुछ ऐसा प्रतीक चिन्ह आप लगावे जिससे आपको हम पहचान सके कि आप स्वयं आ रहे हैं राजकुमार प्रद्युम्न जी नहीं। तब से श्री कृष्ण महाराज जी ने अपने मुकुट में मोर की पंख लगाई, ताकि उनकी पहचान अलग से हो सके।*
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🌻 *कवि नरेश दत्त की कविता*🌻
नहीं जरुरत सकल विश्व को आज लड्डू गोपाल की
आज जरूरत चक्र सुदर्शन धारी कृष्ण गोपाल की ।।१।।
जिस कंस ने अपने पिता को जेल में कैद कराया था ।
वासुदेव और देवकी को भी नजर बन्द करवाया था ।। २ ।।
देवकी के पुत्रों को पैदा होते ही मरवाया था ।
अति करी अत्याचारों की सबका दिल दहलाया था ।। ३।।
पक्षपात को छोड़ सुधारी दशा अपने ननिहाल की । आज जरूरत चक्र सुदर्शन धारी कृष्ण गोपाल की ।।
द्रोपदी को दुष्ट दुशासन खींच सभा में लाया था ।
भरी सभा के अन्दर करण ने वेश्या जिसे बताया ।।
जिसे देखकर भीष्म पितामह बोल नहीं कुछ पाया था ।
सभा छोड़ कर विदुर चल दिए नहीं समझ कुछ आया था ।। ४।।
लाज रखी श्रीकृष्ण ने कृष्णा के खुले बाल की । आज जरूरत चक्र सुदर्शन धारी कृष्ण गोपाल की ।।
पाण्डवों को मरवाने को लाखा भवन बनाया था ।
कुटिलचाल चल शकुनि ने जूए का जाल बिछाया ।।
कपट जाल में फंसाकर उनको वनोंवास भिजवाया था ।
एक साल अज्ञात वास वैराट में समय बिताया था ।। ५।।
चाल चली जो दुर्योधन ने सभी चाल बेचाल की । आज जरूरत चक्र सुदर्शन धारी कृष्ण गोपाल की ।।
भाइयों को दे दो आधा राज्य दुर्योधन को समझाया था ।
नहीं माना तो पांच गांव का प्रस्ताव सुझाया था ।।
इतना समझाने पर दुर्योधन ने सुनीं का नोक दिखाया था ।
दुर्योधन की मेवा त्यागी सांग विदुर घर खाया था ।। ६।।
धनवानों से नहीं डरें और रक्षा की कंगाल की । आज जरूरत चक्र सुदर्शन धारी कृष्ण गोपाल की ।।
जब देखा नहीं बनती बात अब हाथ जोड़ने वालों की ।
अर्जुन से कहा गांडीव उठा हत्या कर इन चाण्डालों की ।।
वीर भोग्या वसुंधरा विद्वान ये कहते आये है ।
मर गये जो उनको स्वर्ग मिला जीते जो राज्य को पाये हैं ।। ७ ।।
धर्म अधर्म को तोल तुला पर जिन्दगी नरेश पामाल की । आज जरूरत चक्र सुदर्शन धारी कृष्ण गोपाल की ।। ८।।
अतः श्रीकृष्ण महाराज योगेश्वर थे।परं राष्ट्र भक्त थे। वेद के ज्ञाता थे। पराक्रमी थे। सुदर्शन चक्र धारी थे।। ऐसे महान श्रीकृष्ण योगेश्वर को भूलकर हिंदू लोग * माखन चोर कृष्ण, रासलीला करने वाले कृष्ण,राधा रमण करने वाले कृष्ण का प्रचार कर* उनके पावन जीवन चरित्र को कलंकित करने में लगे इसीलिए हिन्दू जाति पतन की ओर बढ़ रही है। आर्य समाज आपको आमंत्रित करता *सुदर्शन चक्र धारी,बीर, धर्मात्मा,योगी, समाजसेवी, राष्ट्र भक्त श्रीकृष्ण* की पूजा (सम्मान) कर वैदिक संस्कृति को अपनाओ।
*आचार्य सुरेश जोशी*
वैदिक प्रवक्ता
*कार्यालय कक्ष आर्य समाज मंदिर*
मुजफ्फरपुर विहार प्रांत!!!