🌹 *ओ३म्*🌹
📚 ईश्वरीय वाणी वेद 📚
*ओ३म् तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतऽऋच: सामानि जज्ञिरे ।छंदांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत।।यजु० ३१/६*
🍅 *मंत्र का पदार्थ*🍅
हे मनुष्यो! तुम को चाहिए कि 🌴 तस्मात् = उस पूर्ण 🌴 यज्ञात् =अत्यंत पूजनीय 🌴 सर्वहुत:= जिसके लिए सब लोग समस्त पदार्थों को समर्पण करते हैं उसी परमात्मा से 🌴 ऋच: = ऋग्वेद सामानि = सामवेद 🌴 जज्ञिरे = उत्पन्न होते हैं। 🌴 तस्मात् = उसी परमात्मा से 🌴 छंदांसि = अथर्ववेद जज्ञिरे = उत्पन्न हुआ 🌴 तस्मात् = उसी पुरुष से 🌴 यजु: = यजुर्वेद 🌴 अजायत् = उत्पन्न हुआ उसी को जानो !
🍐 *मंत्र की समीक्षा* 🍐
यह एक प्रमाणिक मंत्र है जिसमें यह बताया गया है कि *वेद ही ईश्वरीय वाणी है*।
🌸 *प्रबल जिज्ञासा*🌸
इस तरह तो ✈️ ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध, जैसे,सिक्ख,पारसी, यहूदी ✈️ सभी अपनी अपनी पुस्तकों को *ईश्वरीय वाणी* कह सकते हैं।
📍 *उत्कृष्ट समाधान*📍
जहां ऐसी शंका उत्पन्न हो! वहां पर। *प्रमाण* ही एक मात्र साधन है जिससे सत्य -असत्य का निर्धारण हो सके।हम भी प्रमाणों के द्वारा सिद्ध करते हैं कि संपूर्ण भू-मंडल में *वेद ही ईश्वरीय वाणी* है।
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[१] जो शास्त्र केवल मानव बनने की शिक्षा दे वही ईश्वरीय वाणी हो सकती है। अब समीक्षा कीजिए! कुरान मुसलमान बनने की शिक्षा देता है। बाईबल ईसाई बनने की शिक्षा देता है।पुराण हिंदू बनने की शिक्षा देता है।केवल वेद ही एकमात्र शास्त्र है जो मनुर्भव अर्थात् *मानव* बनने की शिक्षा देता है।
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[२] वहीं पुस्तक ईश्वरीय वाणी हो सकती है जिसमें केवल सत्य विद्याओं का वर्णन हो! कुरान व बाइबल में इन विद्याओं के लिए कोई स्थान नहीं है। कुरान व बाइबल में *गणित, विज्ञान, संगीत, आयुर्वेद आदि* विद्याओं का कोई ज्ञान नहीं है। कुछ उदाहरण।
(१) विज्ञान के इस युग में कौन मानेगा कि अंगुली के फटकार से चांद के दो टुकड़े हो गए।
(२) जहन्नुम चौथे व सातवें आसमान में है मगर वहां जाने का कोई *रोड मैप* नहीं है।
(३) छः दिन में संसार बना और सातवें दिन सूरज। बताओ जब सूरज था ही नहीं तो क़ुरान वालों ने दिनों की गिनती कैसे की ?
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इसी प्रकार बाइबल में देखें।
(१) ईश्वर ने कहा उजाला हो? हो गया। ईश्वर ने उजाले को देखा?
यह तौरेत पर्व में -१आयत ३-४ में लिखा है।अब आप किसी पादरी जी से पूछें ईश्वर का मुख कहां से आया? अगर उजाले ने ईश्वर की बात सुनी तो आज क्यों नहीं सुनता? क्या ईश्वर ने कभी उजाला नहीं देखा था?
[२] आदम को गहरी नींद में डाला उसकी पसली से एक पसली को निकालकर उसमें मांस भर दिया।पसली से नारी बनाई।यह बात तौरेत पर्व -२आयत २१-२२ में है।
अब विचार कीजिए जब धूल से आदमी बन सकता तो नारी क्यों नहीं बन सकती?नारी के शरीर में नर से एक पसली कम होनी चाहिए। गिरजाघर जमीन में और गौड चौथे आसमान पर क्यों?
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यही हाल पौराणिक हिंदुओं का भी है।
यदि हनुमान जंगली बंदर थे तो उन्होंने वेद कैसे पढ़ें? आज का बंदर गदा युद्ध क्यों नहीं करता? पृथ्वी से १३ लाख गुना बड़े सूर्य को निगलने वाले हनुमान जी का मुख कितना बड़ा था? हनुमान, बाली की पूंछ थी तो अंजना व माता तारा की पूंछ कहां गई?
इससे अलग वेद में केवल सत्य विद्याएं हैं इसीलिए केवल *वेद ही ईश्वरीय वाणी है* ।
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[३] इतिहास और काल काल गणना सबसे बड़ा प्रमाण होता है किसी पुस्तक को *ईश्वरीय वाणी सिद्ध* करने के लिए।आओ सत्य का पता लगायें!
(१) आज यानि २०२४ से ५५३ वर्ष पूर्व गुरु नानक द्वारा *सिक्ख मत चला*।
(२) आज से १६०० वर्ष पूर्व मुसलमानों का *इस्लाम मत* चला।
(३) आज से २०२४ वर्ष पहले ईसाइयों का *ईशा मत* चला।
(४) आज से २३०० वर्ष पूर्व हिंदुओं का *पुराण मत* चला।
(५) आज से २४०० वर्ष पूर्व के आसपास बौद्धों का। *बौद्ध मत* व जैनियों का *जैन मत* चला।
(६) आज से २५०० वर्ष पूर्व आचार्य शंकर का। *नवीन वेदांत* चला। आचार्य शंकर जी ने शास्त्रार्थ करके *बौद्ध व जैन* का नास्तिक मत पराजित करके पुनः *वेद धर्म* को प्रकाशित किया। बाद में उनके शिष्य ने उसे विकृत कर नवीन वेदांत चला दिया।
(७) आज से ४००० वर्ष पूर्व यहूदियों का *यहूदी मत*चला।
(८) आज से ४५०० वर्ष पूर्व पारसियों का *पारसी मत* चला।
(९) आज से ५५५१ वर्ष पूर्व महाभारत का युद्ध *कुरुक्षेत्र के मैदान* में हुआ।
इस प्रकार भू -मंडल पर फैले सारे मत -मतांतर मात्र आज से *५५५१* वर्ष में सिमट जाते हैं।
🌸 *वेदिक धर्म*🌸
अब हम वैदिक धर्म की काल गणना आपको बता रहे हैं जो कि आज २/७/२०२४ के दिन *१,९६,०८,५३,१२५ वर्ष* हो चुकी है। अतः इन सारे प्रमाणों के साथ हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि *वेद ही ईश्वरीय वाणी* है।
आचार्य सुरेश जोशी
*वैदिक प्रवक्ता*