बूंदों का दर्पण बरसाता – निधि मिश्रा

बूंदों का दर्पण बरसाता
हर वन में चंदन बरसाता
मेघों को हम पत्र सुनाते
सूरज यदि सावन बरसाता।

-निधि मिश्रा
लखीमपुर खीरी

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