पौली। पौली विकास क्षेत्र के बघौड़ा दुर्गा मंदिर परिसर में चल रहे महायज्ञ में अयोध्या से पधारे अमरनाथ रामायणी जी ने श्रोताओ को संगीतमयी कथा के माध्यम से शिव विवाह का प्रसंग सुनाया और लोग आनन्दित हो उठे। कथा को आगे बढाते हुए व्यास पीठ से कहा की दक्ष प्रजापति के यज्ञ में जब सती द्वारा शिव के अपमान से आहत होकर अपने शरीर का त्याग कर दिया तब हिमांचल के यहाँ पार्वती के रूप में जन्म लिया । समयानुसार बड़ी होने पर पार्वती की माँ मैना देवी ने पति हिमांचल से कहा कि ” जो घर बर कुल होई अनुपा,, करिह बिबाह सुता अनुरूपा ,,बेटी के अनुरूप घर वर देख कर अब बेटी पार्वती का विवाह कर देना चाहिए
महर्षि नारद के कथानुसार पार्वती को तपस्या के लिए प्रेरित किया गया और पार्वती जी ने शिव जी कठोर तपस्या की। सप्तऋषियों के परीक्षा लेने के बाद, शिव पार्वती का विवाह सम्पन हुआ कथा व्यास ने कहा कि इस प्रसंग से हम सबको यही शिक्षा लेनी की जरूरत है सुखी दाम्पति जीवन के लिए कन्याओं के अनुरूप ही वर का चयन करना चाहिए और हमेशा अच्छा संस्कार देना चाहिए। सभी लोग चाहते है कि हमारी बेटियां ससुराल में सुखी रहे परन्तु यह तभी सम्भव जब हम भी अपने घर आई बहुओ को अपनी बेटी की तरह सम्मान देंगे । क्योकि बेटियां ही समयानुसार कन्या ,बहू,सासू की स्थान लेती है।
कार्यक्रम मे यजमान महेंद्र यादव, श्रीराम प्रजापति, कल्पनाथ यादव सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
Post Views: 115