🕉️🕉️ ओ३म् 🕉️🕉️
🪷 स्वाहा से गूंजा हरियाणा 🪷
आर्य समाज फतेहपुर यमुनानगर हरियाणा के द्वितीय दिवस पर 🔥 अग्निहोत्र विज्ञान 🔥 पर विचार विमर्श हुआ। स्वाहा यज्ञ की 🧘 आत्मा 🧘 है।इदन्न मम यज्ञ का 🌾 प्राण🌾 और यज्ञ का सार 🌲 सुगंधि 🌲 है।
स्वाहा के प्रति धर्म शास्त्रों का तीन दृष्टिकोण हैं।प्रथम यदि यज्ञ के फल की कोई इच्छा न हो स्वाहा उसी गति से बोला जाता है जिस गति में मंत्रोच्चारण होता है।
द्वितीय जब मंत्र की गति से भी निम्न गति में स
वाहा का उच्चारण होता है तो यज्ञमान का अमंगल सुनिश्चित है। तृतीय यजमान के कल्याण हेतु मंत्र के दुगुने स्वर में स्वाहा होना ही श्रेष्ठतम कर्म है।
🍁 क्या है स्वाहा का तात्पर्य 🍁
स्वाहा का अर्थ है कि जैंसा ज्ञान आत्मा में हो वैसा ही जीभ से बोलें विपरीत नहीं।
🥝 स्वाहा के तीन लाभ 🥝
[१] प्रत्यक्ष लाभ यह है कि मन अंतिम क्षण तक यज्ञ में लीन रहता है।
[२] जोर से स्वाहा करने पर भीतर का वायु बाहर निकलता है।अपान प्राण को ऊपर को आकर्षित करता है जिससे अनेक रोग के कृमि बाहर आते हैं।
[३] रोम कूप खुलकर विजातीय तत्व बाहर आते हैं मन पवित्र बुद्धि परिमार्जित होती है।
इस प्रकार यज्ञ प्राणी मात्र को सुख शांति दिलाने वाले मानव को सर्वश्रेष्ठ कर्म है जिसे मानव मात्र को करना ही चाहिए।
महर्षि दयानंद सरस्वती के यशस्वी जीवन पर पंडिता रुक्मिणी देवी वैदिक भजनोपदेशका बाराबंकी ने प्रेरणादायक गीत सुनाकर आर्यों को उत्साह से भर दिया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक श्रीमान पीतम आर्य जी ने समस्त श्रोताओं का तन मन धन से उपस्थित एवं सहयोग देने के लिए आभार प्रकट किया।
आचार्य सुरेश जोशी
🌸 वैदिक प्रवक्ता 🌸