🟣🟣 ओ३म् 🟣🟣
🧘 महर्षि – धन्वंतरि 🧘
🌻 जानिए इतिहास की सच्चाई
आज की हिंदू जाति केवल खाने -पीने-मौज उड़ाने में मस्त है। इसलिए लोग इतिहास की सच्चाई से अनभिज्ञ है।
धनतेरस व महर्षि धन्वंतरि का भ्रमजाल ने कैंसे विकृत किया सनातन धर्म को ध्यान से इस लेख को पढ़िये।
🌰 लोक-मान्यतायें 🌰
लोक में ऐसा प्रचलन है कि आज के दिन स्वर्ण🌸 चांदी🌸 तांबे 🌸आदि की खरीदी करना शुभ होता है। इसलिए लोग जमकर आभूषण🏆बर्तन🚘 इत्यादि अन्य सामग्री खरीदते हैं।
🌞धनतेरस मीमांसा 🌞
धनतेरस में दो शब्द है…
पहला है धन🪂जिसका सामान्य अर्थ लगाया जाता है – पैसा🍁रुपया🍁सोना🍁 चांदी आदि और
दूसरा है तेरस💐जिसका अर्थ है – त्रयोदशी।
अर्थात्
“धनतेरस” के दिन त्रयोदशी तिथि होती है।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। आधुनिक पंचांगों
के अनुसार पर। विचारणीय है।
पर त्रयोदशी को स्वर्ण आदि आभूषण खरीदने से क्या लाभ और शुभ है?
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क्या साल भर ज्वेलरी आदि की दुकानें बंद रहती है ?
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क्या दूसरे दिन खरीदना अशुभ है ?
🐫 बिल्कुल नहीं!🐫
तो धनतेरस का क्या मतलब ?
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धन का सबसे पहला अर्थ है – 🌼🌼शरीर रूपी धन 🌼🌼
“पहला सुख निरोगी काया,
दूसरा सुख घर में हो माया !!
🙌माया🙌 तो दूसरे स्थान पर है।
पहली संपत्ति तो हमारा 💀शरीर💀ही है।
आपसे कोई आपका एक 💪हाथ💪 मांग ले और बदले में कई लाख रुपए देने की बात कहे तो, आप कदापि स्वीकार नहीं करेंगे।
इसका मतलब पहला धन तो आपका शरीर ही है, इससे बड़ा धन कुछ नहीं है।
अब आप पूछेंगे ?
इसका धनतेरस से क्या मतलब है,?
🌻आओ!इसका पता करें 🌻
आयुर्वेद के बहुत बड़े ज्ञाता ऋषि हुए हैं 🌵धन्वंतरि 🌵और उन्होंने अपनी बात प्रारंभ की है, शरीर रूपी धन से।
आयुर्वेद 🪺मनीषी धन्वन्तरि 🪺ने 🧘शरीर🧘 को सबसे बड़ा धन बताया है।
इसलिए पहला धन तो शरीर हीं है।
यदि आप स्वस्थ रहें, निरोग रहें तो, संपत्ति बहुत कमा सकते हैं
कहावत तो आपने सुनी है …
🏋️जान है तो, जहान है”🏋️
तो बताइए आपका पहला धन शरीर हुआ ना ?
आपका सुंदर स्वास्थ्य ही आपका धन है।
आयुर्वेद के🌳 महर्षि धन्वंतरि🌳 के स्मरण में हम त्रयोदशी को🌵धनतेरस🌵 मनाते हैं।
शरद ऋतु में शरीर का ध्यान रखना यह आयुर्वेद के अनुसार भी बहुत जरूरी है, क्योंकि शरद ऋतु में ध्यान रखा गया शरीर पूरे साल भर स्वस्थ रहता है।
🥝जीवेम शरदः शतम्🥝
इस मंत्र-भाग में शरद शब्द का उल्लेख है अर्थात् हम सौ वर्ष तक जियें🍅 हम सौ शरद ऋतु देखें🍐 परन्तु शरद ऋतु की उपेक्षा करके कोई व्यक्ति सौ वर्ष तक नहीं जी सकता। इसीलिए हमारा पहला धन शरीर है।
ध्यान रहे ! हमारा पहला धन शरीर है, परंतु व्यक्ति संपत्ति कमाने के लिए इस अनमोल शरीर और मानव जन्म को दांव पर लगा देता है। फिर शरीर ठीक करने के लिए पूरी संपत्ति को गवां देता है। इसलिए आइए असली धन को समझें और धनतेरस ऐसे ही मनाएं।
कालांतर में लोगों ने स्वर्ण आभूषण, रत्नादि को हीं बड़ा धन मान लिया।
आपको महान 🥑आयुर्वेदाचार्य महात्मा धन्वन्तरी🥑जी के जन्मदिवस पर आयुर्वेद को घर पर लाने के लिए पांच काम करें।
[१] शरीर को स्वस्थ रखने के लिए 🏋️ व्यायामशाला 🔥 यज्ञशाला 📙 पाठशालाओं में जाया करें।
[२] मन को स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम व सत्यआचरण करें।
[३] बुद्धि को स्वस्थ रखने के लिए वैदिक विद्वानों का सत्संग करें और पंडों से बचें।
[४] आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए परमात्मा का ध्यान करें।
[५] ईश्वर को पाने के लिए ईश्वर की सृष्टि में समर्पण भाव से रहें।
मेरा मुझमें कुछ नहीं।
जो कुछ है सब तोर।।
तोरा तुझको सौंपते ।
क्या लागत है मोर।।
🔵🔵 ओ३म् 🔵🔵
आचार्य सुरेश जोशी
🌻 वैदिक प्रवक्ता 🌻
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उत्तर प्रदेश ☎️ 7985414636☎️