अयाेध्या। विश्व हिंदू सिक्ख महापरिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंस आचार्य का आमरण-अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा। बुधवार को प्रतिष्ठित पीठ बड़ाभक्तमाल के वयाेवृद्ध महंत काैशलकिशोर दास महाराज ने अनशन स्थल पर पहुंचकर उनका समर्थन कर हाैसला बढ़ाया। हिंदू राष्ट्र की मांग काे लेकर परमहंसाचार्य अन्नजल का परित्याग कर 7 नवंबर से आमरण-अनशन पर हैं। वह अपने आश्रम के एक कमरे में खुद को अंदर से बंद कर अनशन पर बैठे हैं। अनशन के दूसरे दिन जिला प्रशासन द्वारा उन्हें मनाने की कोशिश की गई। लेकिन अपनी हठधर्मिता के नाते उन्होंने किसी की एक नही सुनी और आमरण-अनशन जारी रखा है। बिना किसी नतीजे के अधिकारियाें काे बैरन वापस लाैटना पड़ा। जगतगुरु परमहंस आचार्य के आमरण-अनशन काे साेशल मीडिया पर भी काफी समर्थन मिल रहा है। उनके समर्थन में अखिल भारत हिंदू महासभा एवं संतसभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज दिल्ली, राष्ट्र भक्त लाेक गायिका कवि सिंह हरियाणा, राष्ट्रीय बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हितेश भारद्वाज उत्तराखंड भी उतर चुके हैं। जिन्हाेंने अपना अलग-अलग वीडियो जारी किया है। जाे साेशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में सभी परमहंस आचार्य के हिंदू राष्ट्र की मांग का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनकी मांग जायज है। भाजपा की केंद्र सरकार को तत्काल इनकी मांगे मान लेना चाहिए और भारत काे जल्द से जल्द हिंदू राष्ट्र घोषित करें। इससे पहले परमहंसाचार्य के हिंदू राष्ट्र की मांग काे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिदल, ओजस्वी भारत फाउंडेशन समेत अन्य हिंदूवादी संगठनों का समर्थन मिल चुका है। जिन्हाेंने अनशन स्थल पर पहुंचकर उन्हें अपना समर्थन भी दिया। जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि हिंदू राष्ट्र साै कराेड़ हिंदुओं की मांग है। वह भारत काे हिंदू राष्ट्र घोषित कराने के लिए लंबे समय से संवैधानिक लड़ाई लड़ रहे हैं। इस मुहिम में उन्हें देश के कई हिंदूवादी संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है। हिंदू राष्ट्र की मांग काे लेकर उन्हाेंने सबसे पहले देश में आवाज उठाई एवं आमरण-अनशन किया था। वर्तमान में हिंदू राष्ट्र पूरे देश की आवाज बन चुका है। भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म व मानवता काे बचाने के लिए भारत शीघ्र हिंदू राष्ट्र घोषित हाे। यही हमारी भाजपा की केंद्र सरकार से मांग है। इस अवसर पर ओजस्वी भारत फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत एकनाथ महाराज महाराष्ट्र दूसरे दिन भी अपने पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं संग आमरण-अनशन स्थल पर डटे रहे।