भारतसंघ में 562 रियासतों का विलय करने वाले सरदार बल्लभ भाई पटेल भारतीयों के आदर्श के बने रहेंगे। उनके पदचिन्हों पर चलकर युवाओं को नेतृत्व एवं संयोजन की क्षमता सीखनी चाहिए। आज उनकी जयंती के अवसर पर स्वामी दयानन्द विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को सम्बोधित करते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी उन्होंने ‘सोमनाथ मन्दिर का जीर्णोदार कराया। अदम्य साहस के धनी सरदार पटेल को दुनिया लौहपुरुष के नाम से जानती है। इसीलिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा में प्रत्येक गांव का लोहा प्रयोग कर *स्टैच्यू आफ यूनिटी* बनाकर उन्हें जन जन के हृदय में बसा दिया। वे अपने सुकर्मों से जन जन के हृदय में बसते हैं। इस अवसर पर आर्य ने विद्यालय परिवार के साथ यज्ञ कर सरदार पटेल के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। इस अवसर पर आदित्यनारायण गिरि ने कहा कि तत्कालीन शासक यदि लौहपुरुष सरदार पटेल के कहने पर चलते तो कश्मीर, तिब्बत व नेपाल के हालात आज जैसे न होते। देश की बिखरी शक्ति को एक करने के लिए उन्होंने विनम्रता, कठोरता और साहस सबका प्रयोग किया। देशी राज्यों के एकीकरण की समस्या को पटेल ने बिना खून-खराबे के बड़ी खूबी से हल किया, देशी राज्यों में राजकोट, जूनागढ़, वहालपुर, बड़ौदा, कश्मीर, हैदराबाद को भारतीय महासंघ में सम्मिलित करना में सरदार को कई पेचीदगियों का सामना करना पड़ा। इतिहास के शिक्षक अनूप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि चीन के व्यवहार में नेहरू की सहमति से जो देश की 40हजार वर्ग भूमि चली गई उसके लिए भी पटेल ने उनके आगाह किया था पर वे नहीं माने। यह 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था। भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी। अंग्रेजों की सेवा करने वालों में विश्वास भरकर उन्हें राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से अरविन्द श्रीवास्तव, दिनेश मौर्य, शिवांगी, प्रियंका, कुमकुम, अनीशा, साक्षी, महक, आकृति द्विवेदी आदि सम्मिलित रहे।
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