आर्य समाज ने मनाई वीर बंदा बैरागी की जयंती

बस्ती 27 अक्टूबरमहर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष में आर्य समाज द्वारा दो वर्षों तक पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। बस्ती में ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती के नेतृत्व में स्वामी दयानन्द विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती में वीर बंदा बैरागी की 353 वीं जयंती मनाई गई जिसमें बच्चों को उनके जीवन चरित्र के बारे में बताते हुए योग शिक्षक गरुण ध्वज पाण्डेय ने बताया कि बन्दा बैरागी ने युवावस्था में शिकार खेलते समय उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया। इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे।
इसी दौरान गुरु गोविन्दसिंह जी माधोदास की कुटिया में आये। उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त आतंक से जूझने को कहा। इस भेंट से माधोदास का जीवन बदल गया। गुरुजी ने उसे बन्दा बहादुर नाम दिया। फिर पांच तीर, एक निशान साहिब, एक नगाड़ा और एक हुक्मनामा देकर दोनों छोटे पुत्रों को दीवार में चिनवाने वाले सरहिन्द के नवाब से बदला लेने को कहा। बन्दा हजारों सिख सैनिकों को साथ लेकर पंजाब की ओर चल दिये और सरहिंद तक की जमीन पुनः अपने कब्जे में कर लिया। उनके पराक्रम से भयभीत मुगलों ने दस लाख फौज लेकर उन पर हमला किया और विश्वासघात से 17 दिसंबर, 1715 को उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद उन्हें और उनके सैनिकों को अमानवीय यातनाएं दी गई। युद्ध में वीरगति पाए सिखों के सिर काटकर उन्हें भाले की नोक पर टांगकर दिल्ली लाया गया। गर्म चिमटों से बन्दा बैरागी का मांस नोचा जाता रहा। यह अत्याचार यहीं पर बन्द नहीं हुआ अन्त समय में उनके बच्चे को मारकर उसके दिल का मांस बंदा बैरागी के मुंह जबरन ठूंस दिया गया और अंत हाथी से कुचलवाकर उन्हें मार दिया गया। उनकी जन्म जयंती पर देश उन्हें नमन कर रहा है। इस अवसर पर प्रधानाचार्य आदित्यनारायण गिरी ने उनकी राष्ट्रभक्ति को नमन किया। कार्यक्रम में नितीश कुमार, अरविंद श्रीवास्तव, दिनेश मौर्य, अनीशा मिश्रा, शिवांगी, प्रियंका, श्रेया, कुमकुम, आदि सम्मिलित रहे।
गरुण ध्वज पाण्डेय

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