*पंचम संस्कार नामकरण*आचार्य सुरेश जोशी

🔥 ओ३म् 🔥
*पंचम संस्कार नामकरण*
🌹 मुख्य-यजमान 🌹
*[१]* इंजी० कंचन
*[२]* इंजी० अंकित
🪷 अभिभावक 🪷
*भारत भूषण जैसवाल*
भूषण मशीनरी स्टोर
अंबेडकन नगर ।।
🪔 संस्कार मीमांसा 🪔
*ओ३म् कोऽसि कतमोऽसि एष:असि अमृतोऽसि*
*आहस्पत्यं मासं प्रविश असौ।।*
इस मंत्र से पिता अपनी अंगुलियों से पुत्र की नासिका से *श्वास-प्रश्वास वायु* को स्पर्श करते हुए *मनोवैज्ञानिक संवाद* करता है।वह संवाद इस उपरोक्त मंत्र में दिया है।जिसका हिंदी अनुवाद इस प्रकार है।
हे पुत्र! तू शरीर नहीं आत्मा है।आनंदमय है।सत्य स्वरुप है।नित्य व अमर है।आज से इस संसार में आकर इस नाम *[ जो भी नाम रखा है उसे पुकारना है*] से संसार के भौतिक व आध्यात्मिक सुखों को भोगना है!
यही *मनोवैज्ञानिक व्यवस्था* ११,२१ वा १०१ दिन के बालक/बालिका में संस्कार का बीजारोपण करती है।ऐसे बालक व बालिकाएं आगे जाकर *माता-पिता-आचार्य व परमेश्वर* की आज्ञाओं का पालन करते हैं! यही सत्य सनातन वैदिक व्यवस्था है।आदरणीय भूषण जी के परिवार में हमेशा *सत्य सनातन वैदिक विधि* से ही संस्कार होते हैं।इसका प्रभाव है कि आपका समस्त परिवार *सुखी-स्वस्थ- व संस्कारित* है!
🪔 *वर्तमान स्थिति*🪔
वर्तमान में परिवारों की स्थिति बड़ी भयंकर है।संस्कार के नाम पर केवल कथा होती है जिसका संस्कारों से कोई संबध नहीं है।जब बच्चों को *संस्कारों की शिक्षा ही नहीं मिलती* तो बच्चे आज की पीढ़ी के केवल *रोटी-कपड़े-मकान* तक ही सीमित रह जाते हैं।उनकी *आध्यात्मिक उन्नति* हो ही नहीं पाती।इस प्रकार मानव जीवन का उद्देश्य ही असफल हो जाता है।इससे पता चलता है कि एक बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए *संस्कार व विद्यावान माता-पिता व आचार्य* की महती आवश्यकता है।जिससे परिवारों को *वेद+संस्कृत+संस्कृति +यज्ञ व संस्कारों* से जोड़कर *एक भारत+श्रेष्ठ भारत* का निर्माण किये जा सकें।
*आचार्य सुरेश जोशी*