बस्ती , 2 अक्तूबर गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे, जिन्होंने आजादी की जंग में भारतीयों को एक किया और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को स्वतंत्रता दिलाने में अहम योगदान दिया। भारत में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह इंग्लैंड गए लेकिन बाद में स्वदेश वापस लौट आए। बाद में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की और वहां अप्रवासी अधिकारों की रक्षा के लिए सत्याग्रह किया। खिलाफत व असहयोग आंदोलन में तेजी आने पर और जिलों की ही भांति बस्ती में भी नरम दल के नेता धीरे-धीरे पीछे हट गए बस्ती में होमरूल लोग की स्थापना करने वाले दौलत राम अस्थाना श्री सरजू प्रसाद वकील तथा लक्ष्मी नारायण टंडन जैसे नेताओं का उल्लेख इस संबंध में किया जा सकता है।19 सितंबर 1921 पंडित जवाहर लाल नेहरू की एक जनसभा गोरखपुर में होनी थी। अंग्रेजों ने सभा निरस्त कर गिरफ्तारी का आदेश दिया। 20 सितम्बर को नेहरू जी सीताराम शुक्ल के घर पहुंचे। यहीं पर गोरखपुर जनपद (जिसमें बस्ती जिला भी शामिल था) की कमेटी का गठन किया। रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी को जिला अध्यक्ष, भगवती प्रसाद दुबे को उपाध्यक्ष, प्रसिद्ध आर्य समाजी देवव्रत को महामंत्री तथा सीताराम शुक्ल को सहयोगी बनाया। 1921 में गांधीनगर (पक्का-नगर) में सीताराम शुक्ल के संयोजन में नेहरू जी की एक विशाल जनसभा कराई। विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई। नौ अक्टूबर 1929 को बस्ती के गांधीनगर में होने वाली जनसभा में भाग लेने आए नेहरू जी इनके घर पर रुके थे। हालांकि, धारा 144 लागू होने के चलते यह जनसभा निरस्त हो गई थी। नाराज सीताराम शुक्ल ने इसी दिन हथियागढ़ में जनसभा कराई, जिसको महात्मा गांधी व पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संबोधित किया था।
वास्तव में श्री वेदव्रात जी ही उस समय जिला कांग्रेस के वास्तविक कार्यकर्ता थे यदि उन्हें बस्ती जिले का कांग्रेस का संस्थापक कहा जाए तो उसमें अतिशंयोक्ति नही होगी उनके प्रयत्न तथा उनकी भावना से प्रभावित होकर जिले के कई कार्यकर्ता आगे आए और उन्होंने असहयोग आंदोलन में आगे बढ़ कर हिस्सा लिया उनमें पंडित सीताराम शुक्ल,कृष्ण बिहारी त्रिपाठी,पंडित कमला प्रसाद शर्मा,भृगु नारायण शर्मा,दुबर प्रसाद,महादेव सिंह तथा नारायण हरि के नाम लिखे जा सकते हैं जिले में असहयोग आंदोलन के सिलसिले में सर्वप्रथम डॉ विश्वनाथ मुखर्जी तथा 121 में पकड़े गए और उन्हें 1 वर्ष की सजा हुई पंडित बैजनाथ चैबे को जेल में 1 साल के लिए गए तथा सेमरियावां क्षेत्र के मौलाना महाबुल्लाह ने खिलाफत आंदोलन में पकड़े जाने पर जेल खाने में जाकर अन्य-जल छोड़ दिया क्योंकि वह अग्रेंजी सरकार का कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहते थे उनका भी स्वर्गवास जेल में ही हो गया।