मनुष्य को शरीर का नहीं आत्मा का श्रृंगार करना चाहिए,,,,

अनुराग लक्ष्य, 24 सितंबर ।
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,
मुंबई संवाददाता ।
संतों की भाषा हमेशा आध्यात्मिक रही है, जिसने सामाजिक प्राणियों के विकार को हमेशा दूर किया है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मेवाड़ संघ मुंबई उपसंघ घाटकोपर में पर्यूशण पर्व पर सोवाधयी निर्मला सिंघवी ने अपने प्रवचन में कहा कि मनुष्य को शरीर का नहीं आत्मा का शिरिंगार करना चाहिए। शरीर तो नश्वर है किंतु आत्म अमर और अजर है। शरीर जब छूटता है तो आत्मा अपना आवरण बदल देती है।
इसी क्रम में सोवाधयायी सुरभि बोहरा ने कहा कि इंसान के पाप कर्म बहोत ही कठिनाई से दूर होते हैं। पाप कर्मों को नष्ट करने के लिए शरीर को तप और तपस्सेया दोवारा तपकर मनुष्य कुंदन बनाना चाहिए जिससे वो समाज हित में कार्य करे।
इस अवसर पर पूर्व संघ अध्यक्ष सुरेश डी सिंघवी, अद्धयेक्छ चांद मल्ल , मंत्री हिम्मत रांका, घीसूलाल डांगी, मनोहर लाल सोनी सहित संघ के सैकड़ों पदाधिकारियों सहित हज़ारों की संख्या में भक्तों की भीड़ ने इस आयोजन को एक सफल आयोजन बनाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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