अयोध्या 23 अगस्त अयोध्या विश्व प्रसिद्ध श्री अशर्फी भवन के पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री श्री धराचार्य जी महाराज की प्रेरणा से चंद्रयान तृतीय के सफल परीक्षण के लिए अशर्फी भवन के आराध्य प्रभु श्री लक्ष्मी नारायण भगवान का विशेष पूजन यज्ञ का अनुष्ठान मंदिर प्रांगण में संपन्न हुआ आज पूरे विश्व की निगाह इस अभियान की सफलता के लिए टिकी हुई हैं भगवान भूत भावन भोलेनाथ के शीश पर चंद्रमा शोभा को बढ़ाते हैं चंद्र देव मन के देवता हैं और हम सभी भारतवासी अपने मन को शांत करने लिए चंद्रमा की पूजा करते हैं श्री वेंकटेश तिरुपति बालाजी दिव्य धाम ट्रस्ट अलवर के पूज्य महंत स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज की अध्यक्षता में हवन यज्ञ का अनुष्ठान श्री माधव वेद विद्यालय श्री अनादी संस्कृत उत्तर माध्यमिक विद्यालय के समस्त आचार्य एवं वेद पाठी ब्राह्मण बटुकों के द्वारा चंद्रयान के सफल परीक्षण की कामना की गई श्री खंडेलवाल वैश्य निष्काम सेवा समिति के भक्तों ने भी पूजा अर्चन कर भारत के वैज्ञानिकों को शुभकामना दी एवं भगवान लक्ष्मी नारायण से चंद्रयान के सफल परीक्षण की प्रार्थना अर्जी लगाई व्यास पीठ पर विराजमान स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने श्रीराम कथा का श्रवण कराते हुए कहां 100 करोड़ रामायण में भगवान श्री राम जी के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन चरित्र को अपने जीवन में उतार लेने पर जन्म-जन्मांतर के पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं अनेकों जन्मों से भगवान के दर्शन हेतु तपस्या कर रहे ऋषि-मुनियों को प्रभु वन में दर्शन देते हैं भरत जी अयोध्यापुरी से अपनी सेना सहित बड़े भैया राम को मनाने वन में जाते हैं इधर प्रभु भरद्वाज आश्रम पर पर्ण कुटीर में निवास कर रहे हैं वन में कुतूहल को देखकर लक्ष्मण जी पेड़ पर चढ़कर देखते हैं और अयोध्या की ध्वज पताका वाला रथ आते देखकर अत्यधिक क्रोधित हो जाते हैं और भाई राम से कहते हैं प्रभु इस कुटिल भरत के वध करने में रंच मात्र भी संदेह नहीं करना चाहिए मां केकई ने तो 14 वर्ष का वनवास ही दिया किंतु यह भरत निश्चित ही हम लोगों का वध करने के लिए यहां आ रहा है हे पूज्य भ्राता आप आज्ञा करें मैं लक्ष्मण आज इस दुष्ट भरत को समाप्त कर दूंगा लक्ष्मण जी के वचनों को सुनकर राम जी लक्ष्मण जी को धिक्कार ते हुए कहते हैं कि हे लक्ष्मण मेरे प्राणों से प्रिय भरत को अभी तुमने जाना नहीं है आने दो भाई भरत को मैं उसे समझा कर तुम्हें अयोध्या का राजा बनवा देता हूं और भरत को अपनी सेवा में यहां वन में रख लेता हूं यह सुनकर लक्ष्मण जी रुदन करने लगे और भरत जी जैसे ही प्रभु के समीप आए प्रभु के चरणों में साष्टांग प्रणिपात करते हुए रुदन करने लगे हे भ्राता यदि मैं कुटिल भरत पैदा ना हुआ होता तो आपको इस निर्जन वन में नहीं आना पड़ता हमारे पिता श्री की मृत्यु नहीं होती हे भ्राता मैं आपके चरणों में बारंबार साष्टांग प्रणिपात करता हूं आप अयोध्या वापस चलें और राज सिंहासन पर विराजमान हो आपके बिना अयोध्या शून्य हो गई है प्रभु जो दंड आप मुझ दुष्ट भरत को देना चाहते हैं वह मुझे स्वीकार है राम और भरत के मधुर मिलन की कथा श्रवण करके सभी श्रद्धालु भक्तजन रुदन करने लगे रामजी ने भरत को कई सारे तर्क दिए और अंत में आदेश दिया कि है भरत तुम मेरे इन चरण पादुका ओं को लेकर अयोध्या जाओ और अयोध्या के राज्य का निर्वहन करो 14 वर्ष व्यतीत होने के पश्चात मैं अयोध्या आऊंगा यह मेरा आदेश है भरत जी आंखों में अश्रु लिए प्रभु की चरण पादुका ओं को अपने मस्तक पर विराजमान करके लौट आते हैं और राज सिंहासन पर प्रभु की चरण पादुका ओं को रखकर 14 वर्ष तक कठोर तप करने नंदीग्राम में वटवृक्ष के समीप अपने केशों को जटा बनाकर तपस्वी वेश धारण करके तप करने बैठ जाते हैं प्रभु वन में ऋषि-मुनियों को दर्शन देते हुए लक्ष्मण सहित पर्ण कुटीर का निर्माण करते हैं और अपने दिवंगत पिताश्री के लिए पिंडदान करते हैं इस भयंकर कलयुग में प्रभु राम जैसा भ्रातृत्व प्रेम हम मनुष्यों के अंदर आ जाए निश्चित हम सभी स्वस्थ प्रसन्न आनंदित जीवन व्यतीत कर सकते हैं के देश के विभिन्न प्रांतो से पधारे खंडेलवाल वैश्य समाज के सभी भक्तजन श्री राम कथा को सुनकर भाव विभोर हो गए कथा का समय दोपहर 3 बजे से सायं 7:00 बजे तक है धर्म प्रेमी बंधु कथा में पधारकर अपने जीवन को धन्य करें l