अदब की नुमाइंदगी करती गोरखपुर की कोहना मशक शाइरा सत्यम वदा शर्मा

अदब की नुमाइंदगी करती गोरखपुर की कोहना मशक शाइरा सत्यम वदा शर्मा,,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 16 सितंबर

सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

मुम्बई संवाददाता ।

कहते हैं कि इंसान का जुनून अगर सच्चा है तो वोह किसी भी क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ सकता है। यह बात पूरी तरह चरितार्थ होती है गोरखपुर की शाइरा सत्यम वदा शर्मा पर जो आज की तारीख में उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अन्य प्रान्तों में भी अपनी खूबसूरत शायरी से श्रोताओं के दिलों में उतर चुकी हैं।

आपको बताते चलें कि पिछले तीन दशक से सत्यम वदा शर्मा कवि सम्मेलनों और मुशायरों के मंचों पर अपनी रुमानियत और सम सामयिक रचनाओं से अपना खास मुकाम हासिल कर चुकी हैं।

मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी इस बात का खुद गवाह हूँ कि मेरे संचालन में सत्यम वदा शर्मा ने दर्जनों कवि सम्मेलनों और मुशायरों में अपनी कामयाबी के परचम लहराने में पूरी तरह कामयाब रही हैं।

,,, मैं तो दरिया हूँ समंदर में उतर जाऊंगी,, जैसी ग़ज़लों से अपनी पहचान बनाने वाली शाइरा सत्यम वदा शर्मा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं।

बेहद खूबसूरत और संजीदगी का मिला जुला एहसास कराती सत्यम को आज पूर्वांचल की जनता बहुत ही सम्मान के साथ सुन रही है और सराह रही है, मिसाल के तौर पर उनके इस कलाम के जरिए सत्यम की शायरी को देखा जा सकता है कि,

,,हार में हर जीत में सम्मान होना चाहिए ,

मित्र हो तो मित्रता का ज्ञान होना चाहिए ,

दोस्ती की आड़ में जो दुश्मनी करता रहे,

ऐसे मित्रों से हमें सावधान होना चाहिए,,,,

शायरी के इस मुकाम पर पहुंचने वाली सत्यम के सम्मान में मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ब्यूरो प्रभारी अनुराग लक्ष्य यह कहने के लिए मजबूर हूँ कि,

,,,, पड़े जो रोशनई कम तो खूं से काम तुम ले लो,

जो किस्मत साथ न दे तो जुनूं से काम तुम ले लो,

अगर दोनों तुम्हारी राह के साथी न बन पाएं,

तो सजदे में झुका के सर सुकूँ से काम तुम ले लो,,,

पेशकश,,, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी