बारिश में टपकती हुई छत पूछ रही है, मुफलिस को सताएगी यह बरसात कहाँ तक, इमरान गोंडवी

बारिश में टपकती हुई छत पूछ रही है, मुफलिस को सताएगी यह बरसात कहाँ तक, इमरान गोंडवी,,,,,

अनुराग लक्ष्य 17 सितंबर

सलीम बस्तवी अज़ीज़ी

मुम्बई संवाददाता।

इससे पहले भी आपने मोहतरम इमरान गोंडवी साहब के कई मयारी ग़ज़लों से आप लुत्फ आंदोज़ हो चुके हैं। आज जिस कदर मुंबई में बारिश हो रही है उसे देखते हुए हालात ए हाज़रा पर इमरान गोंडवी की यह ख़ास ग़ज़ल आप तक पहुंचा रहा हूं इस उम्मीद के साथ कि जिस तरह पहले की ग़ज़लों को आपका प्यार और दुलार मिला है, इस बार भी आप की मोहब्बतें ज़रूर मिलेंगी ।

,१/ ढ़ायेंगे सितम मुझपे यह हालात कहाँ तक ,

तरसेगी मसर्रत को मेरी रात कहाँ तक ।

२/ ऐ अज़्म ए जवां और कोई तूर कोई दार,

दोहराएगा गुज़रे हुए लम्हात कहाँ तक ।

३/ बारिश में टपकती हुई छत पूछ रही है,

मुफलिस को सताएगी यह बरसात कहाँ तक ।

४/ इक शोला ए नफरत ने जला डाला है सब कुछ,

चिंगारी नज़र आई किसी को न धुआं तक ।

५/ हर दिल को बना दूंगा मैं तस्वीर ए मुहब्बत,

कुचलेगा ज़माना मेरे जज़्बात कहाँ तक ।

६/ अब वक्त मेरी फिक्र के पर काट रहा है,

क्यों बात न आई यह मेरे वहम ओ ग़ुमाँ तक ।

७/ यह सोच के हारा है वह हालात की बाज़ी,

तकदीर में इमरान के है मात कहाँ तक ।

,,,,पेशकश, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ,,,,