हिन्दी दिवस पर निवेदित

हिन्दी दिवस पर निवेदित

*(चतुष्पदियाँ)*

 

कब हिन्दी का किला ढहा है,

हर भाषा ने हाथ गहा है ।

सभी काल में “वी०के० वर्मा” ।

हिन्दी का वर्चस्व बढ़ा है ।

* * *

हिन्दी ने मधुमास दिया है ।

अधरों पर उल्लास दिया है ।

हिन्दी ने अनुकम्पा करके,

सूर, कबीर, तुलसीदास दिया है ।

* *

बात कह रहा हूँ मैं साँच,

रहा हूँ ढ़ाई आखर बाँच ।

कभी नहीं आ सकती ‘वर्मा’

हिन्दी की गरिमा पर आँच ।

* *

हर क्षण ही गतिमान हुआ है ।

कभी नहीं अपमान हुआ है ।

ब्रिटिश काल में भी तो “वर्मा”

हिन्दी का सम्मान हुआ है ।

* *

तुम हिन्दी का चरण पखारो ।

निज जननी का कर्ज उतारो ।

हिन्दी दिवस मनाकर “वर्मा”

हिन्दी का महत्व स्वीकारो ।

 

 

*दोहे –*

 

वर्मा हर पल कीजिये हिन्दी का उत्थान ।

हिन्दी अपने देश की आन मान है शान ।

 

हिन्दी का झंडा करो “वर्मा” सदा बुलंद ।

हिन्दी की गंगा नदी बहने दो स्वछन्द ।

 

तुम हिन्दी की प्रगति मे दो न किसी कौं दोष ।

भू-से नभ तक गूंजता हिन्दी का जयघोष ।

 

*डा. वी. के. वर्मा*

आयुष चिकित्साधिकारी,

जिला चिकित्सालय बस्ती